भारतीय राजनीति का एक दौर वह भी था जब राजनेता, जनता के समक्ष एक विनम्र, उदार, सज्जन व मृदुभाषी नेता के रूप में अपनी छवि बनाकर रखना चाहते थे। उनकी कोशिश होती थी कि उनकी वाणी, आचरण तथा कार्यशैली से भी ऐसा ही संदेश जनता तक पहुंचे। यही वजह थी कि ऐसे राजनेता समाज के हर वर्ग में समान रूप से लोकप्रिय हुआ करते थे। परन्तु समय बीतने के साथ-साथ न केवल राजनीति का स्वरूप बदलता गया बल्कि राजनेताओं की कार्यशैली, उनके स्वभाव, उनकी नीयत व नीतियों में भी काफ़ी बदलाव देखा जाने लगा। इसका नतीजा यह हुआ कि आज के राजनेता स्वयं को विनम्र, उदार, सज्जन व मृदुभाषी नेता रूप में पेश करने के बजाये उग्र, आक्रामक, कटु वचन यहाँ तक कि विभाजनकारी बोल बोलने वाला एवं दबंग नेता के रूप में पेश करने लगे हैं।