अमेरिका की छापामार कार्रवाई के दौरान आतंकी संगठन आईएसआईएस के मुखिया अबू इब्राहिम अल हाशमी अल कुरैशी ने खुद को पूरे परिवार के साथ उड़ा लिया। इससे पहले साल 2019 में अबू बकर अल बगदादी भी मारा गया था।

आईएस ख़ूँख़ार आतंकवादी संगठन है जो क्रूरतम हिंसा में यक़ीन रखता है। पहली बार उसके नाम से तब सनसनी फैली थी जब उसने मोसुल पर क़ब्ज़ा कर लिया था। आईएस ने सद्दाम हुसैन के गृह जनपद टिकरित को भी अपने झंडे तले ले लिया था।
संतोष की बात यह है कि आईएस भारत के मुसलमानों को अपनी तरफ़ बड़ी संख्या में आकर्षित करने में नाकाम रहा है। साल 2018 में भारत में इसके दस लोगों का पकड़ा जाना एक बड़ी ख़तरे की घंटी थी। क्योंकि तब तक भारत इस बात पर गर्व करता था कि पूरी दुनिया से मुसलमान इसलामिक स्टेट से प्रभावित होकर उसके सदस्य बने या उनके लिए ख़ून ख़राबा किया, लेकिन भारत में वह अपने मक़सद में कामयाब नहीं हो पाया।
दुनिया में मुसलमानों की आबादी भारत में सबसे ज़्यादा है पर इसलामिक स्टेट से इक्का-दुक्का ही भारतीय मुसलमान जुड़े। जबकि इंग्लैंड और दूसरे यूरोपीय देशों में काफ़ी अधिक संख्या में मुसलमान युवा इसलामिक स्टेट में शामिल हुए और आतंक का रास्ता पकड़ा।
पत्रकारिता में एक लंबी पारी और राजनीति में 20-20 खेलने के बाद आशुतोष पिछले दिनों पत्रकारिता में लौट आए हैं। समाचार पत्रों में लिखी उनकी टिप्पणियाँ 'मुखौटे का राजधर्म' नामक संग्रह से प्रकाशित हो चुका है। उनकी अन्य प्रकाशित पुस्तकों में अन्ना आंदोलन पर भी लिखी एक किताब भी है।