चंडीगढ़ नगर-निगम के चुनावों में आम आदमी पार्टी को मिली सीटों ने देश के बड़े राजनीतिक दलों को एक धक्का-सा दिया है। नगर निगम के चुनावों में कांग्रेसी आशा कर रहे थे कि उन्हें सबसे ज्यादा सीटें मिलेंगी और महापौर उनका ही बनेगा।
चंडीगढ़ निगम चुनाव: केजरीवाल ने लगाई आसमानी छलांग
- विचार
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- 29 Dec, 2021

2016 में कांग्रेस की चार सीटें थीं। वे आठ ज़रुर हो गईं लेकिन उसका वोट 38 प्रतिशत से घटकर 29 प्रतिशत रह गया। इसी प्रकार बीजेपी सोच रही थी कि किसान आंदोलन वापस ले लेने का फायदा उसे मिलेगा और हिंदू वोट उसे थोक में मिलेगा ही। लेकिन हुआ क्या? 2016 में बीजेपी की 20 सीटें थीं। उसकी बस 12 रह गईं।
ऐसा वे इसलिए सोच रहे थे कि किसान आंदोलन की वजह से बीजेपी के वोट तो कटेंगे ही, चरणजीत सिंह चन्नी के मुख्यमंत्री बन जाने के कारण अनुसूचित सीटें तो पकी-पकाई मिल ही जाएंगी।
कांग्रेस की सीटें 2016 में चार थीं। वे आठ ज़रुर हो गईं लेकिन उनका वोट 38 प्रतिशत से घटकर 29 प्रतिशत रह गया। इसी प्रकार बीजेपी सोच रही थी कि किसान आंदोलन वापस ले लेने का फायदा उसे मिलेगा और हिंदू वोट उसे थोक में मिलेगा ही। इसके अलावा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम को भी वह खूब भुनाएगी।