जब किसी एक धर्म या जाति में ही शादी-ब्याह, संपत्ति के बँटवारे के नियम-क़ायदे और रीति-रिवाज़ जब एक जैसे नहीं हैं तो पूरे देश में अलग-अलग धर्म और भाषाओं के लोगों में एकरूपता लाना क्या आसान है? क्या यह संभव भी है? कम से कम मिज़ोरम सरकार को तो ऐसा नहीं लगता है।