#MeToo में आरोप लगने के कारण क्या कोई आत्महत्या करने जैसा कदम भी उठा सकता है। अगर ऐसा है तो यह बहुत ख़तरनाक है। #MeToo से जुड़े एक मामले में बांबे हाई कोर्ट ने भी कहा है कि यह सिर्फ़ पीड़ित लोगों के लिए है। इसका यह मतलब नहीं है कि कोई कुछ भी लिखे। कोर्ट ने कहा है कि इस बारे में गाइडलाइन ज़रूर बननी चाहिए ताकि इसका दुरुपयोग न हो। वरना सच बोलने वालों पर भी यक़ीन करना मुश्किल हो जाएगा।