आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत आजकल ख़ुब गुगली फेंक रहे हैं। कभी कहते है कि बिना मुसलमानों के हिंदुत्व का कोई अस्तित्व नहीं है तो कभी कहते है कि अयोध्या में राम मंदिर बनाने के लिये सरकार कानून बनाये। ये सब जानते हैं कि राम मंदिर का मामला मुसलिम समाज के लिये तकलीफ़देह है। न केवल बाबरी मस्जिद विध्वंस की वज़ह से बल्कि इस कारण से कि पहली बार हिंदुस्तान के प्रति उनकी आस्था पर खुलेआम सवाल खड़े किए गए, भारत में उनके रहने पर भी उँगली उठी। ऐसे में राममंदिर निर्भाण और मुसलमान दोनों को साथ लेकर संघ कैसे चल सकता हैं? वो दोनों बातें कह कर क्या साबित करना चाहता है? इन दोनों में कही कोई मेल भी है या फिर इसके पीछे कुछ गहरा राज है?
आरएसएस मायावी है, चुनाव जीतना उसका मक़सद
- विचार
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- 27 Nov, 2018
आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने यह कह कर. लोगों को चौ्का दिया कि मुसलमानों के बिना हिंदुत्व का कोई अस्तित्व नहीं है। लेकिन उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए क़ानून बनाने की मांग भी कर दी। यह कैसा विरोधाभास है, बता रहे हैं वरिष्ठ पत्रकार आशुतोष।
