बीजेपी से लड़ने के लिए अपनी ताक़त बढ़ाने में जुटी शिव सेना और एनसीपी नामी चेहरों को अपनी पार्टियों में शामिल करने में जुटे हैं। कुछ दिन पहले महाराष्ट्र बीजेपी के बड़े नेता एकनाथ खडसे एनसीपी में शामिल हुए थे और मंगलवार को सिने अदाकारा उर्मिला मातोंडकर ने शिव सेना का दामन थाम लिया।
महाराष्ट्र की सियासी लड़ाई बाक़ी राज्यों से अलग है। ये ऐसा सूबा है जहां अपनी सरकार बनाने के लिए बीजेपी ने घोड़े खोल रखे हैं। उसके बड़े नेता आए दिन यही बयान देते हैं कि जल्द ही यहां उनकी पार्टी की सरकार होगी। केंद्रीय मंत्री राव साहब दानवे और पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के ऐसे ही बयान इन दिनों चर्चा में हैं।
लेकिन सरकार कैसे बनेगी, इसका कुछ पता नहीं है क्योंकि बीजेपी सरकार बनाने के लिए ज़रूरी 145 विधायकों से काफी दूर है। लेकिन बावजूद इसके वरिष्ठ नेताओं के इस तरह के बयान आने का मतलब है कि केंद्रीय और राज्य नेतृत्व महाराष्ट्र का किला फतेह करने के लिए बेहद गंभीर है।
बहरहाल, 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले कांग्रेस का दामन थामने वालीं उर्मिला मातोंडकर ने मंगलवार को शिव सेना ज्वाइन की तो पार्टी ने उन्हें तुरंत महाराष्ट्र विधान परिषद के लिए उम्मीदवार घोषित कर दिया। उर्मिला ने इस मौक़े पर कहा कि महाराष्ट्र सरकार ने बेहतर काम काम किया है और वह मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के काम से प्रभावित हैं।
46 वर्षीय उर्मिला ने कांग्रेस के टिकट पर लोकसभा का चुनाव लड़ा था लेकिन वह हार गई थीं। उर्मिला ने उसके बाद कांग्रेस से इस्तीफ़ा दे दिया था और उन्होंने इसके पीछे मुंबई कांग्रेस की गुटबाज़ी को वजह बताया था।
कंगना को दिया था जवाब
शिव सेना को उम्मीद है कि उर्मिला के आम लोगों के बीच जाना-पहचाना चेहरा होने से उसे पार्टी के लिए स्टार प्रचारक के तौर पर एक नेता मिला है। साथ ही महाराष्ट्र से ही आने के कारण मराठी वोटों पर भी पार्टी की पकड़ मजबूत होगी। उर्मिला के शिव सेना में आने के संकेत कुछ दिनों पहले तब मिले थे, जब उन्होंने कंगना रनौत के मुंबई को पीओके बताने पर उन्हें जोरदार जवाब दिया था।
महाराष्ट्र में ऑपरेशन लोटस?
इस बात की चर्चा तेज़ है कि महाराष्ट्र में बीजेपी ऑपरेशन लोटस को चालू करेगी। इस ऑपरेशन के जरिये वह कर्नाटक, मध्य प्रदेश सहित कई राज्यों में विपक्षी दलों की सरकारों को गिरा चुकी है और कई राज्यों में उनके विधायकों को तोड़ चुकी है। बीजेपी पर आरोप है कि उसके निशाने पर राजस्थान, झारखंड जैसे राज्य भी हैं, जहां पर विपक्षी दलों की हुक़ूमत है।
महाराष्ट्र में अपनी सरकार बनाने की कोशिशों के तहत ही बीजेपी ने पिछले साल एनसीपी नेता अजित पवार को तोड़कर उन्हें उप मुख्यमंत्री पद की शपथ दिला दी थी। लेकिन शरद पवार ने उनकी इस बग़ावत को फ़ेल कर दिया था।
ऑपरेशन लोटस को लेकर विपक्षी दलों की राज्य सरकारें सहमी रहती हैं। लेकिन महाराष्ट्र में हालात बिलकुल विपरीत हैं। यहां बीजेपी पर जवाबी पलटवार करने के लिए उसकी सहयोगी शिव सेना हर वक़्त तैयार है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे खुलकर इसे कह भी चुके हैं कि अगर वे (विपक्षी नेता) हम पर हमले करना जारी रखते हैं तो वे हाथ धोकर पीछे पड़ेंगे।
सुशांत सिंह राजपूत मामले में जिस तरह उद्धव सरकार को निशाना बनाने की कोशिश पत्रकार अर्णब गोस्वामी और अभिनेत्री कंगना रनौत ने की और उसके बाद इन दोनों के सिर पर बीजेपी ने हाथ रखा, उससे शिव सेना भी आक्रामक अंदाज में आ गई है और उसने कहा है कि बीजेपी 25 साल तक महाराष्ट्र की सत्ता में आने का ख़्वाब छोड़ दे।
यह बात सही है कि महाराष्ट्र ने देश के तमाम विरोधी सियासी दलों को रास्ता दिखाया है कि वे अगर चाहें तो एक कॉमन मिनिमम प्रोग्राम बनाकर साथ आ सकते हैं और बीजेपी को सत्ता से दूर रख सकते हैं।
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