फ़िल्म अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत आत्महत्या है या हत्या? इसकी जांच को लेकर जो विवाद उभरा है वह हर रोज नया रंग ले रहा है। इस मामले की जांच को लेकर पहले मुंबई पुलिस की कार्य प्रणाली पर शक किया गया। अपरोक्ष रूप से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के पुत्र व पर्यटन मंत्री आदित्य ठाकरे पर इस जांच को प्रभावित करने, इस मामले से संबद्ध होने के आरोप लगे, बॉलीवुड में नेपोटिज्म, ड्रग्स पर भी सवाल उठे।
इसके अलावा पटना में एक अलग एफ़आईआर दर्ज कराकर जिस तरह जांच को सीबीआई को सौंपी गयी, जांच को महाराष्ट्र बनाम बिहार बनाने की कोशिश की गई और अब बात यहां तक पहुंच गई है कि मुंबई में कौन रह सकता है और कौन नहीं।
ट्विटर पर लड़ी जा रही इस जुबानी जंग में जेएनयू और आजादी के नारों का जिक्र कर वामपंथी या लिबरल विचारधारा पर भी हमला किया जा रहा है, मुंबई में सीएए के ख़िलाफ़ हुए आंदोलन और दीपिका पादुकोण के जेएनयू प्रकरण से लेकर प्रधानमंत्री से पीएम केयर्स फंड का हिसाब मांगने वालों को जवाब देने की भी बात हो रही है।
सुशांत प्रकरण में नेताओं की बयानबाज़ी और गोदी मीडिया की भूमिका को देखकर यह तो साफ़ है कि यह मामला अब सिर्फ सुशांत सिंह राजपूत की आत्म हत्या या हत्या?, इस जांच तक सीमित नहीं रह गया है।
गोदी मीडिया की पत्रकारिता
अगर मामला निष्पक्ष जांच का होता तो, सीबीआई को दिए जाने के बाद इस पर हो रही चर्चाओं पर विराम लग जाना चाहिए था लेकिन वैसा हुआ नहीं। सीबीआई के मुंबई में "मिनट टू मिनट" मूव की गोदी मीडिया में चर्चाएं इस तरह से जारी हैं, जैसे यह जांच कैमरे के सामने हो रही हो।
सीबीआई की तरफ से कोई अधिकृत बयान आने से पहले गोदी मीडिया के स्टूडियो में बैठे एंकर फ़ैसले भी सुनाते रहते हैं। मुंबई पुलिस की ओर से की जा रही जांच के दौरान इन चैनलों से जो परोसा जा रहा था, उसमें से कई बातों पर से पर्दा भी उठ चुका है।
शिवसेना बनाम बीजेपी का संघर्ष?
सीबीआई अपना काम कर रही है लेकिन ‘ट्रोल आर्मी’ जो करीब दो महीने से यह जांच सीबीआई से कराने की मांग कर रही थी, उसकी लड़ाई अब दूसरे मोर्चे पर शुरू होती दिख रही है और नेता इस मामले को हवा देते दिख रहे हैं। यह लड़ाई जिस ओर बढ़ रही है, उससे यह लगने लगा है कि अब यह शिवसेना बनाम बीजेपी बनती जा रही है।
बीजेपी नेता, विधायक, सांसद कंगना रनौत के समर्थन में उतर आये हैं, वहीं, शिवसेना कंगना को उनके द्वारा मुंबई की तुलना पाक अधिकृत कश्मीर से किये जाने को लेकर आंदोलित है। शब्द बाण दोनों ही तरफ से लगातार चलाये जा रहे हैं लेकिन जैसे ही महाराष्ट्र और मुंबई के स्वाभिमान का सवाल खड़ा हुआ, बीजेपी सुरक्षात्मक मुद्रा में लौटती दिख रही है।
बीजेपी का स्टैंड साफ नहीं
विधायक और विधानसभा में पार्टी के चीफ व्हिप आशीष शेलार ने प्रेस कॉन्फ्रेन्स करके स्पष्ट किया कि कंगना रनौत ने मुंबई और महाराष्ट्र को लेकर जो बयान दिए हैं पार्टी उससे सहमत नहीं है। शेलार ने कहा कि बीजेपी को उनके साथ जोड़ना गलत होगा और कोई भी कंगना रनौत की आड़ लेकर बीजेपी पर प्रहार करने का प्रयत्न भी नहीं करे। लेकिन आशीष शेलार या बीजेपी की तरफ से कंगना के बयान का विरोध नहीं किया गया जिसको लेकर शिवसेना और दूसरी पार्टी के नेता बीजेपी पर सवाल उठा रहे हैं।
दूसरी ओर बीजेपी विधायक राम कदम, पूर्व प्रवक्ता अवधूत वाघ, दिल्ली से सांसद प्रवेश वर्मा, मध्य प्रदेश के विधायक विधायक विश्वास सारंग जैसे अनेक नेता कंगना के साथ खुलकर सामने आये हैं।
शिवसेना विधायक प्रताप सर नाईक ने भी इस मामले में बयान दिया और साथ ही साथ पार्टी संगठन ने ठाणे व मुंबई के कई इलाकों में कंगना के पोस्टर पर चप्पल मारने का आंदोलन छेड़ दिया। इसीलिए, अब यह मामला सुशांत सिंह की मौत की जांच से हटकर राजनीति की तरफ मोड़ ले रहा है।
इस मामले में पुलिस की जांच को लेकर मुख्यमंत्री और सरकार पर उठाये जा रहे सवालों को लेकर पहले भी शिवसेना आक्रामक हो चुकी है। अब उसने फिर से सवाल पूछा है कि क्या बीजेपी कंगना रनौत द्वारा मुंबई और महाराष्ट्र को लेकर दिए गए बयान से सहमत है?
राउत-कंगना की जुबानी जंग
शिवसेना पर्दे के पीछे से चल रही राजनीति को सड़क पर लाकर बीजेपी को घेरने की रणनीति में जुट गयी है। वैसे, इस प्रकरण में मुंबई पर सवाल सबसे पहले पूर्व मुख्यमंत्री दवेंद्र फडणवीस की पत्नी अमृता फडणवीस ने 3 अगस्त को उठाया था। उन्होंने कहा था, ‘जिस तरह से सुशांत की मौत के मामले की जांच की जा रही है, लगता है मुंबई ने मानवता खो दी है, यह शहर अब भोले और आत्म सम्मान से जीने वाले लोगों के रहने के लिए सुरक्षित नहीं रहा।’ इसके बाद कंगना रनौत ने बयान दिया कि उन्हें मुंबई पुलिस से मूवी माफ़िया से भी ज़्यादा डर लगता है।
इस बयान के बाद कंगना और संजय राउत में वाक युद्ध छिड़ गया है। मुंबई पुलिस पर सवाल उठाने पर महाराष्ट्र के गृह मंत्री अनिल देशमुख भी बीच में कूद पड़े हैं। देशमुख ने शुक्रवार को कहा- ‘मुंबई पुलिस की तुलना स्कॉटलैंड यार्ड से की जाती है। कुछ लोग मुंबई पुलिस को निशाना बनाने की कोशिश कर रहे हैं।’
महाराष्ट्र पुलिस के करीब आधा दर्जन पूर्व कमिश्नर और डीजीपी ने बॉम्बे हाई कोर्ट में एक याचिका दायर कर मीडिया को पुलिस पर बेबुनियाद आरोप न लगाने के निर्देश देने की मांग की है। लेकिन जिस तरह से यह पूरा प्रकरण दिन प्रति दिन करवट बदल रहा है, उससे इस बात के संकेत तो मिल रहे हैं कि इस मामले में की जा रही राजनीति उद्धव सरकार को घेरने की कोशिश है।
अपनी राय बतायें