महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव में नागपुर की 12 में से 6 सीटें जीतकर कांग्रेस ने जैसा प्रदर्शन किया था, उसे उसने जिला परिषद के चुनावों में भी बरकरार रखकर भारतीय जनता पार्टी को बड़ा झटका दिया है। नागपुर में ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ का मुख्यालय है और इस इलाक़े को बीजेपी का गढ़ माना जाता है। लेकिन कांग्रेस ने शानदार प्रदर्शन करते हुए नागपुर के जिला परिषद के चुनाव में आधी से ज़्यादा सीटें जीत ली हैं। जिला परिषद की 58 में से 30 सीटें कांग्रेस और 10 सीटें उसकी सहयोगी राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (एनसीपी) को मिली हैं। यहां 12 साल से लगातार बीजेपी का कब्जा था लेकिन अब वह यहां से बेदख़ल हो गई है।
नागपुर में बीजेपी की हार कितनी बड़ी है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस, केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और फडणवीस सरकार में मंत्री रहे चंद्रशेखर बावनकुले अपने-अपने गांव की सीट नहीं बचा पाए। इन तीनों सीटों पर कांग्रेस के प्रत्याशी विजयी रहे।
चार जिला परिषदों में कांग्रेस-एनसीपी और शिवसेना मिलकर सत्ता बनाएंगी जबकि एक में त्रिशंकु की स्थिति है। इन जिलों में जिला परिषद के चुनाव इसलिए भी अहम बताये जा रहे हैं क्योंकि यहां पर चुनाव पिछले साल ही होने चाहिए थे लेकिन फडणवीस सरकार बार-बार इसकी तारीख़ आगे बढ़ा रही थी। इस तरह इन सभी जिला परिषदों में पांच के बजाय छठे साल में चुनाव हुए हैं।
जिला परिषदों के पिछले चुनाव 2013 में जब प्रदेश में कांग्रेस-एनसीपी की सरकार थी उस समय जितनी सीटें बीजेपी ने जीती थीं, उसके मुक़ाबले उसका प्रदर्शन बहुत सुधरा है। इसके पीछे एक कारण यह भी बताया जा रहा है कि पिछले पांच साल में बीजेपी ने बड़ी संख्या में कांग्रेस-एनसीपी के नेताओं को तोड़कर अपनी पार्टी में शामिल कर लिया था।
नंदुरबार में जहां बीजेपी ने कांग्रेस के बराबर सीटें हासिल की हैं, वहां की कहानी भी दल-बदल से ही जुड़ी है। यहां की सत्ता के केंद्र में वर्षों से गावित परिवार रहा और लोकसभा से लेकर जिला परिषद तक के चुनाव में इसी परिवार के नेतृत्व में कांग्रेस जीत दर्ज करती रही थी। लेकिन बीजेपी ने गावित परिवार में सेंध लगाई और लोकसभा की जो सीट कांग्रेस कभी नहीं हारती थी वहां उसे हराकर इस आदिवासी इलाक़े में अपनी स्थिति मजबूत करनी शुरू कर दी थी। नंदुरबार जिले में कांग्रेस और बीजेपी को बराबर 23 -23 सीटें मिली हैं, यहां कांग्रेस और एनसीपी मिलकर सत्ता बनाएंगे।
धुले जिला परिषद के चुनाव में बीजेपी ने पहले से बेहतर प्रदर्शन करते हुए 13 सीटों के मुक़ाबले 39 सीटों पर जीत दर्ज की है। जबकि यहां कांग्रेस को बड़ा नुकसान हुआ है। पिछली बार कांग्रेस को जिला परिषद के चुनाव में कुल 30 सीटें मिली थीं लेकिन इस बार कांग्रेस के हाथ महज 7 सीटें आई हैं। अकोला जिला परिषद में प्रकाश आंबेडकर की पार्टी वांछित अघाडी अपनी सत्ता बचाने में सफल नहीं हुई लेकिन सबसे बड़े दल के रूप में वही उभर कर आयी है।
नागपुर के बाद बीजेपी को दूसरा बड़ा झटका ठाणे से सटे जिले पालघर में लगा है। यहां पर शिवसेना सबसे बड़े दल के रूप में उभरी है और वह एनसीपी के सहयोग से अपनी सत्ता स्थापित करेगी। 6 जिला परिषदों का संयुक्त चुनाव परिणाम देखें तो कुछ 332 सीटों में से 102 सीटें जीतकर बीजेपी ने अपना प्रदर्शन पिछली बार से बहुत बहुत बेहतर किया है। पिछली बार उसे 56 सीटें मिली थीं। कांग्रेस को 70 सीटों पर जीत मिली है जबकि एनसीपी को 46, शिवसेना को 49, 14 सीटों पर निर्दलीय उम्मीदवार तथा अन्य के खाते में 47 सीटें गयी हैं।
नागपुर जिला परिषद चुनाव परिणाम
कुल सीटें - 58
बीजेपी - 15
काँग्रेस - 30
एनसीपी - 10
शिवसेना -1
अन्य - 2
पालघर जिला परिषद चुनाव परिणाम
कुल सीटें - 57
बीजेपी - 12
माकपा - 5
काँग्रेस - 1
एनसीपी - 14
शिवसेना - 18
वंचित आघाडी - 4
निर्दलीय - 3
वाशिम जिला परिषद चुनाव परिणाम
कुल सीटें - 52
बीजेपी - 7
काँग्रेस - 9
एनसीपी - 12
शिवसेना - 6
अन्य - 15
निर्दलीय - 3
नंदुरबार जिला परिषद चुनाव परिणाम
कुल सीटें - 56
बीजेपी - 26
काँग्रेस - 20
एनसीपी - 3
शिवसेना - 7
अकोला जिला परिषद चुनाव परिणाम
कुल सीटें - 53
बीजेपी - 7
काँग्रेस - 3
राष्ट्रवादी - 4
शिवसेना -13
निर्दलीय - 4
अन्य - 22 (वंचित अघाडी को मिलाकर)
धुले जिला परिषद चुनाव परिणाम
कुल सीटें - 56
बीजेपी - 39
काँग्रेस - 7
राष्ट्रवादी - 3
शिवसेना - 4
निर्दलीय - 3
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