देश में जब नरसिंह राव की सरकार थी उस समय जैन डायरी घोटाले की बहुत गूँज हुई थी। उस डायरी की विशेषता यह थी कि उसमें से सत्ता पक्ष और विपक्ष के दर्जनों नेताओं के नाम सामने आए थे। संसद से लेकर सड़क तक ख़ूब हंगामा हुआ। अख़बारों में रोज़ कोई नया नाम सुर्ख़ियों में हुआ करता था और यह कहा जाने लगा था कि शायद नरसिंह राव अपने राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों को खामोश कराने के लिए इस डायरी का उपयोग कर रहे हैं। महाराष्ट्र में सहकारी बैंक घोटाले को लेकर जो मामला दर्ज हुआ है उसकी तसवीर भी कुछ ऐसी ही है।