राजनीति में कोई आपका कितना ही करीबी हो, उस पर यह भरोसा नहीं किया जा सकता कि आज वह आपके साथ है तो कल भी आपके साथ ही रहेगा। यह बात सोमवार को महाराष्ट्र की विधानसभा में विश्वास मत पर वोटिंग के दौरान सच साबित हुई।
हुआ यूं कि शिवसेना के विधायक संतोष बांगर का कुछ दिन पहले एक वीडियो सामने आया था जिसमें वह शिव सैनिकों के बीच रोते हुए और उद्धव ठाकरे का जोरदार समर्थन करते दिखाई दिए थे। लेकिन सोमवार को विश्वास मत के दौरान उन्होंने एकनाथ शिंदे के हक में वोट डाला।
जब उन्होंने ऐसा किया तो इस दौरान विपक्ष की ओर से हूटिंग भी की गई। शिवसेना के एक और विधायक श्यामसुंदर शिंदे ने भी पाला बदल लिया और एकनाथ शिंदे सरकार के पक्ष में वोट दिया।
एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद जब शिवसेना में जबरदस्त उथल-पुथल मची थी और उद्धव ठाकरे गुट अपने पास बचे गिने-चुने विधायकों को संभाल रहा था, उस वक्त ही संतोष बांगर का अपने विधानसभा क्षेत्र में शिव सैनिकों को संबोधित करते हुए एक वीडियो सामने आया था। वीडियो में उन्होंने खुद को बालासाहेब ठाकरे का शिवसैनिक बताया था और इस दौरान वह भावुक भी हो गए थे।
उन्होंने उद्धव ठाकरे के प्रति अपनी निष्ठा का दावा किया था और एकनाथ शिंदे से वापस लौटने के लिए कहा था। बांगर ने बालासाहेब ठाकरे- उद्धवजी ठाकरे तुम आगे बढ़ो हम तुम्हारे साथ हैं का नारा लगाया था और इस दौरान उनके साथ मौजूद शिवसैनिकों ने भी नारेबाजी की थी।
आज मतदारसंघांमध्ये परत आल्यानंतर उपस्थित शिवसैनिकांना संबोधित करताना अश्रू अनावर झाले....शेवटच्या श्वासापर्यंत आदरणीय शिवसेना पक्षप्रमुख #उद्धव_ठाकरे साहेबा सोबत. @ShivSena @AUThackeray pic.twitter.com/loMHpUI4cL
— आमदार संतोष बांगर (@santoshbangar_) June 24, 2022
होटल में मिलने पहुंचे
शायद रविवार तक यह बात उद्धव ठाकरे गुट ने भी नहीं सोची होगी कि सोमवार को संतोष बांगर एकनाथ शिंदे के गुट के साथ मिल जाएंगे। लेकिन बांगर रविवार रात को उस होटल में पहुंचे जहां मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उनके समर्थक विधायक रुके हुए हैं और तभी यह संकेत मिल गया था कि उन्होंने उद्धव ठाकरे का कैंप छोड़ दिया है।
ठाकरे के सामने चुनौतियां
निश्चित रूप से विधायकों के लगातार पलायन की वजह से उद्धव ठाकरे का गुट बेहद कमजोर पड़ गया है जबकि एकनाथ शिंदे काफी मजबूत हो गए हैं। कहा जा रहा है कि उद्धव ठाकरे आने वाले दिनों में मुंबई के साथ ही महाराष्ट्र के तमाम इलाकों में जाकर फिर से शिवसेना के कैडर को खड़ा करने की कोशिश करेंगे।
लेकिन यह काम इतना आसान नहीं होगा क्योंकि एकनाथ शिंदे और उनके समर्थक विधायक शिवसेना में ही हैं। किसी भी राजनीतिक दल को चलाने में उसके बॉस की भूमिका अहम होती है। ऐसे में शिवसेना के जिला प्रमुख, शाखा प्रमुख, सांसद, विधायक और तमाम शिवसैनिक किस का आदेश मानेंगे यह एक बड़ा सवाल शिवसेना की सियासत में खड़ा हो गया है।
निश्चित रूप से एकनाथ शिंदे ने ठाकरे गुट को जबरदस्त सियासी नुकसान पहुंचाया है और आने वाले दिनों में शिवसेना के भीतर एकनाथ शिंदे गुट और उद्धव ठाकरे गुट के बीच में कोई सुलह हो जाए ऐसा हाल फिलहाल की सूरत में मुमकिन नहीं दिखाई देता।
लेकिन यह तय है कि इस जबरदस्त बगावत की वजह से शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और उनके करीबियों की चुनौतियां बहुत ज्यादा बढ़ गई हैं।
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