राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ यानी आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत क्या हर रोज़ मसजिदों को लेकर नये-वये विवाद के पक्ष में नहीं हैं? उन्होंने गुरुवार को वाराणसी में ज्ञानवापी मसजिद के विवाद पर 'आपसी समझौते के माध्यम से रास्ता' ढूंढने का आह्वान किया।
भागवत ने कहा कि ज्ञानवापी का एक इतिहास है जिसे हम बदल नहीं सकते। उन्होंने आगे कहा कि 'आज के हिंदू और मुसलमानों ने इसे नहीं बनाया है।' उन्होंने तो यहाँ तक कह दिया कि हर मसजिद में एक शिवलिंग को क्यों देखना?' भागवत ने कहा है, 'झगड़ा क्यों बढ़ाना, वह भी एक पूजा है जिसे उन्होंने (मुसलिमों ने) अपनाया है। वे यहीं के मुसलमान हैं।' उन्होंने कहा कि भारत किसी एक पूजा और एक भाषा को नहीं मानता है।
उनका यह बयान तब आया है जब ज्ञानवापी विवाद में मंदिर और मसजिद पक्ष के याचिकाकर्ता अदालत द्वारा आदेशित मसजिद परिसर के फिल्मांकन को लेकर क़ानूनी लड़ाई लड़ रहे हैं ताकि यह जाँचा जा सके कि क्या हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां हैं, और क्या कोई शिवलिंग पाया गया है, जैसा कि हिंदू याचिकाकर्ताओं ने दावा किया है।
मोहन भागवत नागपुर में संघ शिक्षा वर्ग तृतीय वर्ष 2022 के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। उन्होंने कहा, 'कुछ जगहों के प्रति हमारी विशेष भक्ति थी और हमने उनके बारे में बात की लेकिन हमें रोजाना एक नया मामला नहीं लाना चाहिए। हम विवाद को क्यों बढ़ाएँ? ज्ञानवापी के प्रति हमारी भक्ति है और उसके अनुसार कुछ करना ठीक है। लेकिन हर मसजिद में शिवलिंग को क्यों देखना?'
इसके साथ ही भागवत ने कहा कि भारत को दुनिया का विजेता नहीं बनना है। उन्होंने कहा, 'हमारी ऐसी कोई आकांक्षा नहीं है। उसका तो मक़सद सभी को जोड़ने का होना चाहिए, भारत किसी को जीतने के लिए नहीं बल्कि सभी को जोड़ने के लिए अस्तित्व में है।'
संघ प्रमुख ने मुसलमानों को लेकर कहा, 'इसलाम आक्रमणकारियों के ज़रिए भारत में आया तो भारत की स्वतंत्रता चाहने वाले लोगों का मनोबल कम करने के लिए हजारों मंदिर तोड़े गए।' भागवत ने कहा कि हिंदू मुसलमानों के ख़िलाफ़ नहीं सोचता है लेकिन उसे लगता है कि इनका पुनुरुद्धार होना चाहिए। अयोध्या में राम मंदिर के बाद क्या और मुद्दे उठेंगे? ऐसे सवाल का भी भागवत ने अपने संबोधन में जवाब दिया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि 'हमने 9 नवंबर को ही कह दिया था कि राम मंदिर के बाद हम कोई आंदोलन नहीं करेंगे। लेकिन मुद्दे मन में हैं तो उठते हैं। ऐसा कुछ है तो आपस में मिलकर-जुलकर मुद्दा सुलझाएँ।'
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