महाराष्ट्र का क़िला वापस पाने के लिए कांग्रेस पूरी ताक़त से ज़मीन पर काम कर रही है। महागठबंधन का भी खाका तैयार कर लिया गया है। बीजेपी के बाग़ी कद्दावर नेता एकनाथ खड़से को लाने के लिए भी पूरे ज़ोर शोर से तैयारी चल रही है। लेकिन कांग्रेस के लिए ख़बर अच्छी नहीं है। घर के अंदर ही विरोध शुरू हो गया है। यह विरोध पार्टी के बड़े नेता और विधान सभा में नेता विपक्ष राधे कृष्ण विखे पाटिल के परिवार में ही हो रहा है। नेता विपक्ष राधे कृष्ण विखे पाटिल के बेटे डॉ सुजॉय विखे पाटिल ने एक बयान देकर सबको चौंका दिया है।
बड़ा झटका
डॉ सुजॉय विखे पाटिल ने ये कहकर सबको चौंका दिया है कि, 'ज़रूरी नहीं की माता-पिता जिस पार्टी की सेवा कर रहे हैं मैं भी उसी पार्टी के लिए काम करूँ। मेरा अपना भी मत है और मैं अपने विचारधारा के अनुसार अपनी पार्टी चुन सकता हूँ।' सुजॉय के इस बयान के काफ़ी मायने निकाले जा रहे हैं। अगर सही में वो कांग्रेस छोड़ने कि सोच रहें हैं तो यह पार्टी के लिए बड़ा झटका हो सकता है।
डॉ सुजॉय पाटिल की नाराज़गी की वजह है अहमदनगर सीट एनसीपी के खाते में जाना। अहमदनगर विखे पाटिल का गढ़ माना जाता है। राधा कृष्णा विखे पाटिल यहीं से विधायक हैं और उनकी पत्नी कांग्रेस से ही जिला परिषद् की सदस्य हैं। सुजॉय अपने लिए लोक सभा सीट की माँग कर रहे थे, लेकिन महागठबंधन के सीट बँटवारे में यह सीट एनसीपी के खाते में जा रही है। बस इसी बात से सुजॉय नाराज़ हैं। सूत्र बताते हैं कि इस नाराज़गी में उन्हें उनके पिता का भी समर्थन हासिल है। उन्हें लगता है की इस सीट को हासिल करने के लिए राज्य इकाई ने ज़्यादा मेहनत नहीं की जिससे यह उनके सहयोगी के खाते में जा रही है।
बीजेपी के ख़िलाफ़ राष्ट्रीय मोर्चा बनाने की बात करने वाली कांग्रेस के अपने ही घर में कलह है। महाराष्ट्र के बड़े नेता के बेटे के पार्टी छोड़ने से यह संकेत जाएगा कि वे तो अपना घर ही नहीं सभाल पा रहे हैं, मोर्चा क्या बनाएगी। इससे पार्टी में चिंता होना लाज़िमी है।
बीजेपी के साथ
कांग्रेस के अंदर भी इस बात को लेकर चर्चा चल रही है कि सुजॉय को कैसे रोका जाए। एक तरफ पार्टी बीजेपी के बड़े नेता एकनाथ खड़से को अपने साथ लाने के लिए जोड़ तोड़ कर रही है तो वहीँ विखे पाटिल का उनके ख़िलाफ़ जाना काफी नुक़सान पहुंचा सकता है। विखे पाटिल पारिवारिक सूत्रों की मानें अगर सुजॉय को यग सीट नहीं मिलती है तो वो बीजेपी का हाथ थाम सकते हैं।
खड़से के जाने से होगा बीजेपी को नुक़सान
वहीं दूसरी तरफ बीजेपी के बड़े नेता एकनाथ खड़से ने पार्टी छोड़ने का मन क़रीब क़रीब बना लिया है। अगर ऐसा होता है तो उनकी बहू और बीजेपी सांसद रक्षा खड़से भी पार्टी छोड़ देंगी। एकनाथ खड़से जलगांव के मुक्ति नगर से पिछले कई दशक से विधायक हैं। वहीं उनकी बहू रावेर लोकसभा सीट से सांसद है। खड़से को जनाधार वाला नेता माना जाता है। एकनाथ खड़से का महाराष्ट्र के 25 विधान सभा सीटों पर सीधा असर है। लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बाद पार्टी ने उनसे दूरी बना ली है। यह भी कहा जाता है की उनका क़द छोटा करने के लिए यह सब किया गया है।
अगर ऐसे में खड़से पार्टी छोड़ते हैं तो यह बीजेपी के लिए बड़ा झटका हो सकता है। खड़से अपने साथ तीन और विधायकों को ले जा सकते हैं। इसी लिए खड़से जैसे बड़े नेता को अपने पाले में लाने के लिए कांग्रेस और एनसीपी दोनों जमकर मेहनत कर रहें हैं। खड़से हाल के दिनों में कांग्रेस नेताओं के साथ कई बार मंच साझा करते हुए दीखे हैं।
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