महाराष्ट्र में महा विकास आघाड़ी की सरकार बनने के बाद शिवसेना में अंतर्कलह पहली बार देखने को मिली है। शिवसेना के वरिष्ठ नेता और पूर्व पर्यावरण मंत्री रामदास कदम ने अपनी ही पार्टी के नेता और ट्रांसपोर्ट मंत्री अनिल परब और उच्च शिक्षा मंत्री उदय सामंत पर शिवसेना को ख़त्म करने के प्रयास करने का आरोप लगाया है। रामदास कदम का कहना है कि अनिल परब और उदय सामंत ने एनसीपी से समझौता कर लिया है और शिवसेना को ख़त्म करने की साज़िश रच रहे हैं। रामदास कदम पिछली बार देवेंद्र फड़णवीस की सरकार में पर्यावरण मंत्री थे।
रामदास कदम का कहना है कि महाराष्ट्र में जबसे महाविकास अघाड़ी सरकार कांग्रेस और एनसीपी के गठबंधन से बनी हैं तभी से ये दोनों नेता शिवसेना को खोखला करने में जुटे हुए हैं।
रामदास कदम ने आरोप लगाते हुए कहा कि साल 2019 में जब शिवसेना ने कांग्रेस और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई तो शिवसेना अध्यक्ष उद्धव ठाकरे ने अनिल परब और उदय सामंत को मंत्री इसलिए बनाया था ताकि वह शिवसेना को और मज़बूत कर सकें। लेकिन जैसे ही उदय सामंत और अनिल परब मंत्री बने तो उन्होंने शरद पवार की पार्टी एनसीपी से हाथ मिला लिया और कोंकण इलाक़े में शिवसेना को कमजोर करने में जुट गए। बता दें कि अनिल परब रत्नागिरी ज़िले के पालक मंत्री हैं जबकि उदय सामंत के कंधों पर सिंधुदुर्ग जिले की ज़िम्मेदारी है।
रामदास कदम ने अनिल परब और उदय सामंत पर आरोप लगाते हुए कहा कि जब से वे दोनों मंत्री बने हैं तभी से वे उनका विरोध करते आ रहे हैं। यहां तक कि जब साल 2019 में महाराष्ट्र में विधानसभा के चुनाव हो रहे थे तो रामदास कदम ने अपने बेटे के लिए दापोली विधानसभा से टिकट मांगा था, लेकिन अनिल परब ने उनके बेटे की उम्मीदवारी का विरोध जताया था।
फ़िलहाल शिवसेना में अनिल परब और उदय सामंत शिवसेना सुप्रीमो उद्धव ठाकरे के काफ़ी क़रीबी मंत्री माने जाते हैं। ऐसे में रामदास कदम द्वारा दोनों ही मंत्रियों पर आरोप लगाना काफी चौंकाने वाला है।
इस बीच रामदास कदम ने एक और खुलासा करते हुए कहा कि साल 2019 में जब महाराष्ट्र में विधानसभा के चुनाव हो रहे थे और शिवसेना सरकार बनाने की तैयारी में थी तो मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के साथ उनकी, सुभाष देसाई और दिवाकर रावते की बैठक हुई थी, जिसमें युवाओं को मंत्री बनाने के समझौते पर फ़ैसला हुआ था। लेकिन जब महाविकास आघाड़ी सरकार बनी तो उसमें सुभाष देसाई का नाम देखकर वह काफ़ी अचंभित हो गए थे क्योंकि सुभाष देसाई ने भी युवाओं को प्रमोट करने के लिए हामी भरी थी।
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