वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मसजिद विवाद की तरह ही अब महाराष्ट्र के पुणे में भी ऐसा ही एक विवाद उठने की आशंका है। वहाँ दो दरगाहों को लेकर अब कई हिंदू संगठनों और राजनीतिक दलों ने मुद्दा बनाना शुरू कर दिया है। दावा किया जा रहा है कि वहाँ पहले मंदिर थे और मुगल शासन के दौरान उन मंदिरों को तोड़कर दरगाह बनाई गई थी। अब राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना यानी एमएनएस ने मुद्दा बनाने की कोशिश की है।
हाल के कुछ हफ़्तों में उत्तर भारत में कई जगहों पर ऐसे मुद्दों को उछाला गया है। ख़ासकर, ज्ञानवापी मसजिद विवाद और मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि विवाद के बाद तो कई राज्यों में ऐसे मुद्दे उठाए गए। यहाँ तक कि दिल्ली की जामा मसजिद को लेकर बयान दिया गया।
अब ताज़ा मामला पुणे का है। इस मामले को मनसे ने उठाया है। इसने पुनेश्वर और नारायणेश्वर मंदिरों के मुद्दे को उठाना शुरू कर दिया है जिन्हें कथित तौर पर मुगल शासन के दौरान गिरा दिया गया था। ईटी की रिपोर्ट के अनुसार, पुणे के एक मनसे नेता अजय शिंदे ने कहा, 'तीन प्रसिद्ध मंदिर थे- नागेशर, पुनेश्वर और नारायणेश्वर। मुगलों ने पुनेश्वर और नारायणेश्वर मंदिर को ध्वस्त कर दिया जबकि नागेश्वर मंदिर बच गया। हमने राज्य सरकार, केंद्र और एएसआई से भूखंड को अपने कब्जे में लेने के लिए कहा है क्योंकि मुगलों द्वारा मंदिरों को तोड़ा गया था और उन पर दरगाह बनाई गई थी।'
मनसे नेता ने कहा है, 'पांडुरंग बालकवड़े जैसे इतिहासकारों ने अपने लेखन में दो मंदिरों का उल्लेख किया है, एएसआई ने पहले भी पुनेश्वर स्थल से कई मूर्तियों की खोज की थी। औरंगजेब के भतीजे को वहां दफनाए जाने के बाद पुनेश्वर मंदिर स्थल को दरगाह में बदल दिया गया था।'
रिपोर्ट के अनुसार, शिंदे ने कहा कि पुनेश्वर मंदिर परिसर में एक दरगाह थी जिसे मसजिद में बदल दिया गया है जबकि नारायणेश्वर मंदिर के स्थान पर अभी भी एक दरगाह है। 'ईटी' ने रिपोर्ट दी है कि पुणे में जमीयत ए उलेमा ए हिंद के एक स्थानीय नेता से संपर्क करने पर उन्होंने कहा कि उन्हें इस मुद्दे की जानकारी नहीं है।
राज ठाकरे पिछले कुछ सालों से शिथिल पड़े हुए लग रहे थे, लेकिन अब अचानक आक्रामक दक्षिणपंथी मुद्दों को उठाकर वह कट्टर हिंदुत्व की छवि में दिख रहे हैं। उन्होंने हाल के महीनों में मसजिदों में लाउडस्पीकर के इस्तेमाल किए जाने के मसले को उठाया था।
हालाँकि, पुणे के पुनेश्वर और नारायणेश्वर मंदिरों का यह मुद्दा अभी तक हिंदू संगठनों और राजनेताओं के बयानों में ही उठा है।
वैसे, वाराणसी का काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी मसजिद विवाद अब नेताओं की बयानबाज़ी से आगे बढ़कर अदालत तक जा पहुँचा है। आज ही वाराणसी की ज़िला अदालत इस मामले में फ़ैसले सुनाने वाली है। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले को जिला जज को ट्रांसफर किया था। माना जा रहा है कि इस मामले पर फ़ैसले का असर अन्य जगहों पर ऐसे मुद्दों पर पड़ सकता है।
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