संविधान लागू होने के लगभग छह दशक बीत जाने के बाद भी दलितों को मानव मल खाने को मजबूर किया जाता है। यह वाक़या उसी महाराष्ट्र का है, जहाँ डॉक्टर आंबेडकर का जन्म हुआ था। यह भी विडंबना है कि जिस पुणे में सूचना प्रौद्योगिकी जैसे आधुनिकतम तकनीक की पचासों कंपनियाँ काम कर रही हैं, वहां इस तरह की वारदात हुई और वह भी आंबेडकर के जन्मदिन के कुछ ही दिन पहले।