कभी आंदोलनों की जन्म स्थली रही मुंबई देखते-देखते मायानगरी बन गयी और इस शहर को न थमने वाला शहर, आर्थिक राजधानी जैसी अनेक उपमाएँ दी जाने लगीं। देश के राष्ट्रीय मुद्दे रहे हों या बेरोज़गारी और श्रमिकों के सवाल सड़क पर उतर कर सरकार को चुनौती देने का जज़्बा ग़ायब-सा ही हो गया। जो छिटपुट आंदोलन होते भी थे तो जाति, आरक्षण तक ही सीमित रहे। यहाँ के कॉलेज और विश्वविद्यालयों को पिछले काफ़ी अरसे से छात्रसंघ की राजनीति से दूर रखने की वजह से यहाँ दिल्ली जैसे छात्र आंदोलन नहीं हुए। लेकिन आज मुंबई का युवा सड़कों पर उतरा है। यह युवा खड़ा हुआ है देश की राजधानी दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू विश्विद्यालय में घुसकर विद्यार्थियों के साथ मारपीट करने के मुद्दे पर।