कभी आंदोलनों की जन्म स्थली रही मुंबई देखते-देखते मायानगरी बन गयी और इस शहर को न थमने वाला शहर, आर्थिक राजधानी जैसी अनेक उपमाएँ दी जाने लगीं। देश के राष्ट्रीय मुद्दे रहे हों या बेरोज़गारी और श्रमिकों के सवाल सड़क पर उतर कर सरकार को चुनौती देने का जज़्बा ग़ायब-सा ही हो गया। जो छिटपुट आंदोलन होते भी थे तो जाति, आरक्षण तक ही सीमित रहे। यहाँ के कॉलेज और विश्वविद्यालयों को पिछले काफ़ी अरसे से छात्रसंघ की राजनीति से दूर रखने की वजह से यहाँ दिल्ली जैसे छात्र आंदोलन नहीं हुए। लेकिन आज मुंबई का युवा सड़कों पर उतरा है। यह युवा खड़ा हुआ है देश की राजधानी दिल्ली में जवाहरलाल नेहरू विश्विद्यालय में घुसकर विद्यार्थियों के साथ मारपीट करने के मुद्दे पर।
जेएनयू हिंसा का विरोध: मुंबई के युवा क्या इतिहास दोहराएँगे?
- महाराष्ट्र
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- 7 Jan, 2020
एक पर्यटन स्थल के रूप में पहचान रखने वाले गेट-वे ऑफ़ इंडिया पर रात जो तसवीर थी वह 'इंडिया गेट' जैसी नज़र आयी जो अक्सर आंदोलनों-धरनों-प्रदर्शनों का गवाह रहा है।

एक पर्यटन स्थल के रूप में पहचान रखने वाले और शहर का प्रतीक गेट-वे ऑफ़ इंडिया पर पिछली रात जो तसवीर थी वह 'इंडिया गेट' जैसी नज़र आयी जो अक्सर आंदोलनों-धरनों-प्रदर्शनों का गवाह रहा है। बड़ी संख्या में युवा, विद्यार्थी जमा हुए और उन्हें साथ देने के लिए बॉलीवुड के सितारे और विभिन्न सामाजिक संगठनों के लोग भी गेट-वे ऑफ़ इंडिया पहुँच गए। दक्षिण मुंबई के अधिकांश इलाक़ों में धरना-प्रदर्शन की इजाज़त नहीं है और उस क्षेत्र में स्थायी रूप से धारा 144 घोषित है, उसके बाद भी 36 घंटों तक विद्यार्थी यहाँ जमे रहे।