महाराष्ट्र में सत्ता संग्राम के साथ-साथ पारिवारिक संग्राम भी चल रहा है और इस संग्राम का केंद्र बिंदु बना हुआ है पवार घराना। जिसका एक महत्वपूर्ण सदस्य और महाराष्ट्र प्रदेश में एनसीपी का बड़ा नेता अब अपने चाचा को ताल ठोककर चुनौती दे रहा है। इस संघर्ष से महाराष्ट्र में सत्ता संग्राम की जो पहेली लगभग सुलझ सी गयी दिखती थी वह इस शख़्स के कारण एक बार फिर से उलझ गयी है। जी हाँ, हम बात कर रहे हैं अजीत पवार की।
अजीत पवार को मनाने के लिए सभी उपाय उनके चाचा शरद पवार की तरफ से किये जा रहे हैं। अजीत के साथ गए विधायकों को तो वापस लाया ही जा रहा है, साथ ही परिवार को टूटने से कैसे बचाया जाए, इसके लिए भी प्रयास जारी हैं। शनिवार को जब अजीत पवार ने बग़ावत कर शपथ ली थी उस दिन उनकी चचेरी बहन सुप्रिया सुले ने वॉट्सऐप पर स्टेटस लिखा था - 'किस पर भरोसा करें, जिसको इतना प्यार और सम्मान दिया वह भी ऐसा कर गया, पार्टी और परिवार दोनों टूट गए।’
सुप्रिया सुले ने रविवार को भी अपने स्टेटस पर एक तसवीर शेयर की है। यह वही तसवीर है जिसकी मीडिया में यह कहकर चर्चा की गयी कि इसने प्रदेश की राजनीतिक हवा बदलने में बड़ी भूमिका निभाई। यह तसवीर सातारा जिले की एक चुनावी सभा की है जिसमें शरद पवार बारिश में भीगते हुए भाषण दे रहे हैं। सुप्रिया ने तसवीर का कैप्शन लिखा है - 'यह चित्र जिंदगी भर लड़ने और संघर्ष के लिए प्रेरणा देता रहेगा! लोगों की सेवा करने के लिए हम फिर से एक मजबूत टीम बनाएंगे...हमारे पास बेस्ट रोल मॉडल है। हम ईमानदारी, वफादारी और कठिन परिश्रम के साथ फिर उठेंगे।’
भतीजे ने लिखी भावनात्मक पोस्ट
सुप्रिया सुले के बाद उनके भतीजे और हाल ही में विधायक बने रोहित पवार ने फेसबुक पर एक भावनात्मक पोस्ट लिखी है। इस पोस्ट में उन्होंने शरद पवार, अजीत पवार और सुप्रिया सुले के साथ अपनी फोटो भी साझा की है। पोस्ट में रोहित ने लिखा, 'मैं बचपन से देख रहा हूँ, साहब (शरद पवार) कभी हताश नहीं होते। मेरे दादा अप्पासाहब पवार के निधन के बाद मेरे पिता को ढांढस बंधाने वाले साहब को भी मैंने देखा है।’
रोहित ने आगे लिखा, ‘अजीत दादा के पिता अनंतराव पवार के निधन के बाद अजीत दादा को संभालने व संवारने वाले भी साहब ही थे। अजीत दादा को बचपन में प्यार देने वाले भी साहब ही थे। यही नहीं साहब जब परेशानी में होते थे तब उनके साथ मजबूती से खड़े रहने वाले अजीत दादा भी मैंने देखे हैं। प्रश्न पारिवारिक हो या राजनीतिक, हताश हो जाना यह साहब के शब्दकोष में नहीं है।’
रोहित ने आगे लिखा, ‘आज के घटनाक्रम को देखकर यही लगता है कि पोस्ट की गई फोटो ऐसी ही रहे और अजीत दादा साहब का निर्णय मानते हुए फिर से घर आ जाएँ। साहब ने परिवार और राजनीति को कभी साथ नहीं मिलाया है और आगे भी नहीं मिलायेंगे। पर कहीं तो एक साधारण से परिवार का व्यक्ति 'पवार साहब' बनता है, आम आदमी की आवाज बनता है और अंतिम उम्मीद तक लड़ता रहता है।’
रोहित पवार ने एक इसी तरह की मार्मिक अपील लोकसभा चुनाव के दौरान भी फेसबुक पर तब लिखी थी जब शरद पवार ने लोकसभा चुनाव लड़ने से इनकार कर दिया था। यह स्थिति अजीत पवार के बेटे पार्थ पवार को मावल क्षेत्र से चुनाव लड़ाने को लेकर उत्पन्न हुई थी। उस समय मीडिया ने जब इसे पवार घराने में फूट बताकर ख़बरें चलानी शुरू की थीं तो शरद पवार ने मोर्चा संभाला था और यह स्पष्ट किया था कि वह अपना परिवार संभालने में सक्षम हैं और आज तक बदस्तूर उसे संभाले हुए हैं। लेकिन आज विधानसभा चुनाव के बाद सरकार बनाने का समीकरण उनके अनुकूल बना तो परिवार और पार्टी को फिर से टूट का सामना करना पड़ रहा है।
शरद पवार इस संघर्ष से कब और कैसे निकलकर बाहर आते हैं, यह तो वक्त बताएगा लेकिन कई स्तरों पर अजित पवार को मनाने की कोशिशें जारी हैं। शनिवार को पार्टी में उनके करीबी नेताओं को पवार ने उनसे मिलने भेजा था और आज पार्टी के विधायक दल के नेता जयंत पाटिल को उनके पास भेजा गया।
रविवार सुबह अजीत पवार के एक नजदीकी मित्र और बीजेपी सांसद संजय काकडे ने शरद पवार से उनके आवास सिल्वर ओक पर मुलाक़ात की। इसे भी एक प्रयास के रूप में देखा जा रहा है कि काकडे अपने मित्र की घर वापसी कराएं।
होता रहा है सत्ता संघर्ष
महाराष्ट्र के सियासी घरानों में सत्ता का संघर्ष कोई नयी बात नहीं है। यह संघर्ष राजतंत्र में भी था और अब लोकतंत्र में भी होता है। महाराष्ट्र के ताकतवर सियासी पवार परिवार में आज यह संघर्ष दिख रहा है। इससे पहले प्रदेश के सबसे ताक़तवर कहे जाने वाले ठाकरे परिवार में इतना बड़ा संघर्ष हुआ था कि आज चचेरे भाई दो अलग-अलग पार्टियां चला रहे हैं। छत्रपति शिवाजी महाराज के भोसले राजशाही परिवार की बात भी किसी से छुपी नहीं है। गोपीनाथ मुंडे के परिवार की भी कुछ ऐसी ही कहानी है मुंडे की तीनों बेटियाँ बीजेपी के साथ हैं तो भतीजे धनंजय मुंडे एनसीपी में हैं।
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