परमबीर सिंह अब एक और मुश्किल में फँसते दिख रहे हैं। मुकेश अंबानी के घर के पास कार में विस्फोटक सामग्री मिलने के मामले से जुड़े कथित जैश-उल-हिंद के टेलीग्राम संदेश को लेकर नया खुलासा हुआ है। आरोप है कि उस टेलीग्राम संदेश को लेकर साइबर सुरक्षा के पेशेवर द्वारा जो रिपोर्ट बनाई गई थी उसको तत्कालीन पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने छेड़छाड़ कर तैयार करवाई थी। साइबर सुरक्षा के उस पेशेवर ने ही राष्ट्रीय जाँच एजेंसी यानी एनआईए के सामने यह बात कही है। उसने एजेंसी को बताया है कि उसने जो मूल रिपोर्ट तैयार की थी उसमें तो मुकेश अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक का ज़िक्र भी नहीं था। उसने आरोप लगाया है कि परमबीर सिंह के कहने पर उसने जैश-उल-हिंद के पोस्टर को उसमें जोड़ दिया था। उसका कहना है कि उस काम के बदले परमबीर सिंह ने जबरन उसे 5 लाख रुपये भी दिए थे।
साइबर सुरक्षा के पेशेवर के इस बयान से मुकेश अंबानी के घर के पास कार में विस्फोटक सामग्री मिलने के मामले में नये सिरे से सवाल खड़े होते हैं। सवाल यह कि आरोपों के अनुसार आख़िर परमबीर सिंह ने उस रिपोर्ट को क्यों अपने तरीक़े से बदलवाई? क्या उस मामले से उनका कोई फायदा था या फिर एनआईए प्रमुख से शाबाशी के लिए किया?
बता दें कि तब मार्च में रिपोर्ट आई थी कि मुकेश अंबानी के घर के पास विस्फोटक सामग्री लदी हुई कार से जुड़े मामले के तार तिहाड़ जेल से जुड़ते दिख रहे थे। तब उस रिपोर्ट के आधार पर कहा गया था कि जैश-उल-हिंद के नाम से विस्फोटक सामग्री और कार की ज़िम्मेदारी लेने वाला जो मैसेज भेजा गया था उसे एक टेलीग्राम चैनल से भेजा गया था। और उस टेलीग्राम चैनल को कथित तौर पर तिहाड़ जेल में बनाया गया था। तब रिपोर्टों में कहा गया था कि सरकारी एजेंसी द्वारा इस मामले की पड़ताल करने के लिए संपर्क करने पर एक निजी साइबर एजेंसी ने यह दावा किया।
देश के सबसे रईस इंसान और उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर एंटीलिया के बाहर 25 फ़रवरी को एक संदिग्ध कार में विस्फोटक पदार्थ मिले थे। इसके बाद एक संदेश मिला था।
ख़बरों के मुताबिक़, आतंकी संगठन जैश-उल-हिंद के नाम से संदेश में लिखा था, 'रोक सकते हो तो रोक लो, तुम कुछ नहीं कर पाए थे जब हमने तुम्हारी नाक के नीचे दिल्ली में तुम्हें हिट किया था, मुंबई में एसयूवी पार्क करने वाले सही सलामत अपने घर पहुँच गए हैं यह तो एक ट्रेलर था अभी बड़ी पिक्चर आनी बाक़ी है।'
लेकिन बाद में जैश-उल-हिंद नाम के संगठन ने ही इसको खारिज किया था और कहा था कि उसने कभी भी मुकेश अंबानी को कोई धमकी नहीं दी है। जैश-उल-हिंद ने कथित तौर पर यह भी कहा था कि उसकी मुकेश अंबानी से कोई लड़ाई नहीं है और मीडिया में वायरल हो रहा पत्र पूरी तरह फर्जी है।
इस मामले में साइबर सुरक्षा के पेशेवर ने अब एनआईए को जो बताया है वह पहले के उन दावों को खारिज करता है और परमबीर सिंह पर सवाल खड़े करता है।
एनआईए के आरोप पत्र में साइबर सुरक्षा के पेशेवर का यह ताज़ा बयान है। उन्होंने कहा है कि वह पहली बार 9 मार्च को परमबीर सिंह से तब मिले थे जब वह मुंबई क्राइम ब्रांच में प्रशिक्षण कार्यक्रम में शामिल होने गए थे। 'द इंडियन एक्सप्रेस' की रिपोर्ट के अनुसार, मुलाक़ात के दौरान उन्होंने परमबीर सिंह को बताया कि दिल्ली में इस्राइली दूतावास के बाहर हुए विस्फोट के मामले में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने उस टेलीग्राम चैनल का पता लगाया था जिसमें जैश उल हिंद ने विस्फोट की ज़िम्मेदारी ली थी। जिस मोबाइल से टेलीग्राम चैनल से संदेश भेजा गया था उसकी लोकेशन तिहाड़ जेल थी। साइबर सुरक्षा पेशेवर ने कहा कि इस मामले में उन्होंने भी दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल की मदद की थी।
रिपोर्ट में कहा गया है कि साइबर सुरक्षा के उस पेशेवर द्वारा जानकारी साझा किए जाने पर परमबीर सिंह ने वह रिपोर्ट मांगी, लेकिन उन्होंने गोपनीयता का हवाला देकर ऐसा करने से इनकार कर दिया। पर बार-बार दबाव डालने के बाद वह पेशेवर रिपोर्ट बनाने को तैयार हो गया।
रिपोर्ट के अनुसार पेशेवर ने कहा, 'सीपी मुंबई के आग्रह पर मैंने सीपी मुंबई के कार्यालय में बैठे अपने लैपटॉप कंप्यूटर पर एक रिपोर्ट तैयार की। वह रिपोर्ट एक पैराग्राफ में थी और मैंने इसे सीपी मुंबई को दिखाया। रिपोर्ट पढ़ने के बाद परमबीर सिंह सर ने मुझे उस पोस्टर को रिपोर्ट में शामिल करने को कहा जिसमें एंटीलिया केस के लिए ज़िम्मेदारी लेने का दावा किया गया था और जो टेलीग्राम चैनल 'जैश उल हिंद' पर दिखा था। उन्होंने कहा कि आईजी एनआईए जल्द ही आने वाले थे और वह आईजी एनआईए को रिपोर्ट दिखाना चाहेंगे। फिर मैंने अपनी रिपोर्ट को संशोधित किया और टेलीग्राम चैनल 'जैश उल हिंद' पर दिखाई देने वाले पोस्टर को डाला और उस रिपोर्ट को सीपी मुंबई की आधिकारिक ईमेल आईडी पर भेज दिया।'
उस पेशेवर ने दावा किया है कि इस काम के लिए परमबीर सिंह भुगतान करना चाहते थे। उन्होंने कहा है, 'श्री परमबीर सिंह ने मुझसे पूछा कि मुझे कितनी राशि का भुगतान किया जाना चाहिए। मैंने जवाब दिया कि मुझे किसी भुगतान की उम्मीद नहीं थी। लेकिन श्री परमबीर सिंह ने कहा कि मैंने उत्कृष्ट काम किया है और मैं उन सेवाओं के लिए भुगतान का हकदार हूँ। फिर उन्होंने अपने निजी सहायक को बुलाया और निजी सहायक को मुझे 3 लाख रुपये का भुगतान करने का निर्देश दिया।' लेकिन आख़िरकार सिंह ने उन्हें 5 लाख रुपये नकद दिए।
टेलीग्राम संदेश के संबंध में एनआईए ने कहा है कि इसकी जाँच अभी भी जारी है। लेकिन इस पेशेवर के बयान से परमबीर सिंह की मुश्किलें और बढ़ सकती हैं।
अपनी राय बतायें