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शरद पवार के पोते बारामती में अपने चाचा अजित से भिड़ेंगे

बारामती में फिर से पवार बनाम पवार की लड़ाई होगी। कुछ महीने पहले लोकसभा चुनावों में पवार बनाम पवार के बीच मुक़ाबला रहा था और तब शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले ने अजित पवार की पत्नी को हराया था। अब खुद एनसीपी से अजित पवार हैं और उनके सामने शरद पवार ने अपने पोते युगेंद्र को उतारा है। 

शरद गुट द्वारा जारी पहली सूची में 45 उम्मीदवारों के नामों की घोषणा की गई है। शरद गुट ने जयंत पाटिल को इस्लामपुर विधानसभा सीट से, अनिल देशमुख को काटोल सीट से, राजेश टोपे को घनसावंगी से तो बालासाहेब पाटिल को कराड नॉर्थ सीट से टिकट दिया गया है। इनके साथ ही बारामती से युगेंद्र पवार को टिकट दिया गया है।

युगेंद्र महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार के भाई श्रीनिवास के बेटे हैं और उन्हें गुरुवार को बारामती विधानसभा सीट से एनसीपी (एसपी) का उम्मीदवार बनाया गया। राजनीति में उनके आने की अटकलें पहली बार फरवरी में सामने आईं जब उन्होंने नए एनसीपी (एसपी) कार्यालय का दौरा किया। कुछ दिनों पहले अजित ने दावा किया था कि एक साल पहले पार्टी में विभाजन के बाद परिवार ने उन्हें अलग-थलग कर दिया था। अजित पवार के तब के आरोप पर युगेंद्र ने कहा था, 'मैंने राजनीति में शामिल होने का फैसला नहीं किया है। मैंने नए एनसीपी (एसपी) कार्यालय के बारे में सुना और इसलिए इसे देखने और परिवार के मुखिया शरद पवार को समर्थन देने का फैसला किया।' उन्होंने कहा कि वह वही करेंगे जो उनके दादा उनसे कहेंगे। ऐसी रिपोर्टें हैं कि शरद पवार ने पार्टी में विभाजन के बाद बारामती में पार्टी के पुनर्निर्माण का काम युगेंद्र को सौंपा है।

रिपोर्ट है कि 32 वर्षीय युगेंद्र ने बारामती में सुप्रिया सुले के लोकसभा अभियान में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी और उन्हें शरद पवार का करीबी बताया जाता है। 2024 के लोकसभा चुनाव में शरद पवार की बेटी व एनसीपी (सपा) की कार्यकारी अध्यक्ष सुप्रिया सुले ने अपनी भाभी और अजित पवार की पत्नी सुनेत्रा पवार को बारामती संसदीय क्षेत्र से डेढ़ लाख से अधिक मतों के अंतर से हराया।

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शरद पवार के मार्गदर्शन में युगेंद्र लगातार अपना राजनीतिक आधार बना रहे हैं। यह सितंबर में बारामती में स्वाभिमान यात्रा के शुभारंभ में भी दिखा। वह पवार द्वारा स्थापित शैक्षणिक संस्थान विद्या प्रतिष्ठान के कोषाध्यक्ष के रूप में भी काम करते हैं। पिछले लोकसभा चुनावों में युगेंद्र ने सुप्रिया सुले के लिए सक्रिय रूप से प्रचार किया था। उनके पिता श्रीनिवास ने शरद पवार को छोड़कर महायुति सरकार के साथ अन्य एनसीपी नेताओं के साथ गठबंधन करने के लिए अजित पवार की खुलेआम आलोचना की थी।
अजित पवार 1991 से बारामती का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं, जब एनसीपी का गठन नहीं हुआ था। तब वह और उनके चाचा शरद पवार कांग्रेस का हिस्सा थे। एनसीपी में बँटवारे के बाद जब उनकी पत्नी लोकसभा चुनाव में सुप्रिया सुले से हार गईं तब उन्होंने अपनी ग़लती मानी थी।
लोकसभा चुनाव में अपनी पत्नी की हार के बाद अजित ने सार्वजनिक रूप से स्वीकार किया कि अपनी चचेरी बहन के खिलाफ सुनेत्रा को मैदान में उतारना एक गलती थी क्योंकि इससे परिवार में मतभेद पैदा हो गए थे। उन्होंने यह भी संकेत दिया था कि वह विधानसभा चुनाव नहीं लड़ेंगे, जिससे यह अटकलें लगाई जा रही थीं कि उनके बेटे जय राजनीति में उतरेंगे। हालांकि, बाद में उन्होंने कहा कि पार्टी नेताओं और उनके समर्थकों द्वारा चुनाव लड़ने के लिए मनाए जाने के बाद उन्होंने अपना मन बदल लिया।
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इधर, दो दिन पहले ही युगेंद्र ने कहा, 'हमने लोकसभा चुनाव के दौरान अच्छा काम किया है और विधानसभा चुनाव के दौरान भी हमें ऐसा ही करना होगा। हमें शरद पवार के विचारों और छत्रपति शिवाजी महाराज, शाहू महाराज, ज्योतिबा फुले और बाबासाहेब आंबेडकर की प्रगतिशील विचारधाराओं को आगे बढ़ाना है। मैं एनसीपी (एसपी) उम्मीदवारों को पूरा समर्थन दूंगा।'

युगेंद्र के लिए मैदान में उतरीं सुले ही विधानसभा चुनाव के लिए एनसीपी (एसपी) की कमान संभाल रही हैं। मंगलवार को निर्वाचन क्षेत्र में एक रैली में उन्होंने कहा, 'लड़की बहन योजना का श्रेय बारामती लोकसभा क्षेत्र को जाना चाहिए, क्योंकि इसे तब शुरू किया गया था, जब यहां की बहनों ने संसदीय चुनावों में सत्तारूढ़ गठबंधन को झटका दिया था। उन्होंने इस योजना को इसलिए शुरू किया, क्योंकि उन्हें एहसास हो गया था कि वे बारामती की बहनों को बरगला नहीं सकते हैं।'

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क़मर वहीद नक़वी
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