एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने 2002 के नरोदा गाम दंगा मामले में सभी 67 आरोपियों को बरी किए जाने को 'कानून के शासन और संविधान की हत्या' करार दिया है। इसके साथ ही उन्होंने महाराष्ट्र भूषण पुरस्कार समारोह में गर्मी से मारे गए लोगों के लिए महाराष्ट्र सरकार को ज़िम्मेदार ठहराया और न्यायिक जाँच की मांग की।
पवार उपनगरीय घाटकोपर में राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के कार्यकर्ताओं की एक सभा को संबोधित कर रहे थे। इसी दौरान उन्होंने नरोदा गाम नरसंहार पर अदालत के फ़ैसले पर नाराजगी जतायी। गुजरात की एक अदालत ने नरोदा गाम इलाके में 11 मुसलमानों की हत्या के मामले में गुरुवार को सभी जीवित आरोपियों को बरी कर दिया है। जिन्हें बरी किया गया है उनमें बीजेपी की पूर्व विधायक माया कोडनानी, बजरंग दल के पूर्व नेता बाबू बजरंगी और विश्व हिंदू परिषद के नेता जयदीप पटेल आदि आरोपी शामिल हैं।
27 फरवरी 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आग लगने के बाद गुजरात में हुए नौ बड़े दंगों में नरोदा गाम का मामला शामिल था। 28 फरवरी, 2002 को, अहमदाबाद के नरोदा गाम क्षेत्र में मुस्लिम मोहल्ला, कुंभार वास नामक इलाके में भीड़ द्वारा उनके घरों में आग लगाने के बाद 11 मुसलमानों को जलाकर मार डाला गया था। नरोदा थाने में प्राथमिकी दर्ज की गयी है।
इस फ़ैसले का ज़िक्र करते हुए पवार ने कहा, 'कानून और संविधान के शासन की हत्या कर दी गई है। यह कल के फैसले से साबित हो गया है।'
पवार ने भारतीय जनता पार्टी पर विपक्षी दलों को खत्म करने के लिए सत्ता का दुरुपयोग करने का भी आरोप लगाया। उन्होंने कहा, 'अनिल देशमुख को 100 करोड़ रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में 13 महीने की जेल हुई थी, और चार्जशीट में जांच एजेंसी ने उनके शिक्षण संस्थान के लिए डेढ़ करोड़ रुपये के दान को रिश्वत बताया था। मैं भी प्रमुख हूं कई शैक्षणिक संस्थानों का, अगर मैं उनके लिए दान लेता हूं, तो क्या उन्हें रिश्वत माना जाएगा।' पवार ने यह भी कहा कि एनसीपी के एक अन्य नेता नवाब मलिक अभी भी जेल में बंद हैं।
उन्होंने बीजेपी का नाम लिए बिना कहा, 'देश में कट्टरवाद बढ़ रहा है और हमें सतर्क रहने की जरूरत है। हमें इसके खिलाफ किसी भी कीमत पर लड़ना होगा।'
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