डॉ. नरेंद्र दाभोलकर हत्या मामले में बार-बार जाँच एजेंसियों को देरी या निष्क्रियता को लेकर डाँट लगाती रही अदालत ने अब सत्ताधारी दल और सरकार को फटकार लगाई है। कोर्ट ने सरकार से पूछा है कि वह जाँच कार्य में सहयोग या सामंजस्य क्यों नहीं स्थापित कर रही है? सुनवाई के दौरान 4 जुलाई को अदालत ने जो बातें कही हैं वह सिर्फ़ जाँच एजेंसियों पर ही नहीं, हमारी सरकारों की भूमिका पर भी सवाल खड़े करती हैं। न्यायाधीश सत्यरंजन धर्माधिकारी व गौतम पटेल की खंडपीठ ने कहा कि यह हत्या गैंगवार, पारिवारिक विवाद या संपत्ति विवाद की वजह से नहीं हुई है। महाराष्ट्र और कर्नाटक में एक के बाद एक चार ऐसे विचारकों की हत्याएँ एक सिलसिलेवार तरीक़े से हुई हैं जिनके विचार बहुसंख्यकों से भिन्न थे। इन हत्याओं के पीछे जो मक़सद नज़र आ रहा है वह है बहुसंख्यकों से हटकर व्यक्त किये गए विचारों को ख़त्म करने या यह बताने का कि इस तरह के विचार रखने वाले लोगों का यही अंजाम होगा। अदालत ने कहा कि चार विचारकों की हत्या का परिणाम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर होता है। इसलिए राज्य सरकार को इस ख़तरे को समझना चाहिए। अदालत ने यह भी सवाल उठाया कि क्या राज्य सरकार राज्य में ऐसा ही चलते रहने देना चाहती है?
दाभोलकर पर कोर्ट: क्या हत्याएँ होते रहने देना चाहती है सरकार?
- महाराष्ट्र
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- 6 Jul, 2019

डॉ. नरेंद्र दाभोलकर हत्या मामले में बार-बार जाँच एजेंसियों को देरी या निष्क्रियता को लेकर डाँट लगाती रही अदालत ने अब सत्ताधारी दल और सरकार को फटकार लगाई है। अदालत ने पूछा क्या राज्य सरकार राज्य में ऐसा ही चलते रहने देना चाहती है?