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टीआरपी स्कैम में अब दो और टीवी चैनलों का नाम आ सकता है। मुंबई पुलिस अब उनकी छानबीन कर रही है। टेलीविज़न रेटिंग प्वाइंट्स यानी टीआरपी में गड़बड़ी की जाँच के सिलसिले में गिरफ़्तार किए गए दो लोगों ने माना है कि उन्हें उन दोनों चैनलों से पैसे दिए गए थे। पुलिस ने कहा है कि उन दोनों में से एक हिंदी का न्यूज़ चैनल है जबकि दूसरा मराठी का मनोरंजन चैनल है। यह उसी जाँच का हिस्सा है जिसमें मुंबई पुलिस ने 8 अक्टूबर को सनसनीखेज खुलासा किया था कि कुछ टीवी चैनल पैसे देकर अपनी टीआरपी बढ़ाया करते थे। इस मामले में रिपब्लिक टीवी पर गंभीर आरोप लगे। तब दो टीवी चैनलों के मालिकों को पुलिस ने गिरफ्तार भी किया था।
इसी जाँच के सिलसिले में मंगलवार को की गई कार्रवाई में हंसा रिसर्च ग्रुप के दो पूर्व कर्मचारियों रामजी वर्मा और दिनेश विश्वकर्मा को टीआरपी स्कैम से संबंध को लेकर गिरफ़्तार किया गया था। हंसा रिसर्च ग्रुप टीआरपी और उपभोक्ताओं पर अध्ययन करने वाली कंपनी है। गिरफ़्तार इन दोनों लोगों और इससे पहले गिरफ़्तार किए गए उमेश मिश्रा को तीन दिन की पुलिस हिरासत में भेज दिया गया है। पुलिस का कहना है कि इसी हिरासत की अवधि के दौरान पूछताछ में रामजी और दिनेश ने दो चैनलों द्वारा पैसे का भुगतान किया जाना कबूल किया है।
पुलिस के अनुसार, इन दोनों ने बताया है कि इन चैनलों ने उन्हें इसलिए पैसे दिए थे ताकि जिन घरों में ब्रॉडकास्ट ऑडिएंस रिसर्च काउंसिल यानी बार्क मीटर या बार-ओ-मीटर लगे हैं और जिनसे टीआरपी मापने वाले टीवी जुड़े हुए हैं उनके चैनलों को देखने के लिए कहा जाए। 'द इंडियन एक्सप्रेस' के अनुसार एक अधिकारी ने कहा है, 'हम इन चैनलों की भूमिका की जाँच कर रहे हैं और सबूत ढूँढने के प्रयास में हैं। इसी आधार पर हम निर्णय लेंगे कि उनको अभियुक्त बनाया जाए या नहीं।' रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से यह भी कहा गया है कि पुलिस बार्क से यह पता लगाने के लिए कहेगी कि क्या इन दोनों चैनलों में अप्रत्याशित गतिविधियाँ देखी गई हैं।
बहरहाल, टीआरपी स्कैम के मामले में जाँच का दायरा बढ़ता जा रहा है। टीआरपी का अध्ययन करने वाली हंसा रिसर्च ने मुंबई की एक अदालत में रिपब्लिक टीवी, अर्णब गोस्वामी और एआरजी आउटलियर के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया है।
इस कंपनी ने अपनी याचिका में अदालत से गुजारिश की है कि रिपब्लिक टीवी जिस काग़ज़ को 'हंसा रिपोर्ट' कह कर प्रचारित कर रही है, वह दरअसल उसका अंदरूनी मसौदा है, कोई रिपोर्ट नहीं है। लिहाज़ा उसे दिखाने या उसका हवाला देने पर रोक लगाई जाए।
इस पूरे टीआरपी स्कैम मामले में मुंबई पुलिस ने चार और दंडनीय धाराएँ जोड़ दी हैं। इनमें कहा गया है कि सरकार के आदेशों की पालना नहीं की जा रही है, सरकारी अधिकारियों के सवालों का जवाब नहीं दिया जा रहा है और सबूत नष्ट कर दिए गए हैं।
बता दें कि आठ अक्टूबर को यह मामला तब आया था जब मुंबई पुलिस ने टीआरपी स्कैम को लेकर प्रेस कॉन्फ़्रेंस की थी। इसमें मुंबई पुलिस ने दावा किया था कि कुछ टीवी चैनल पैसे देकर अपनी टीआरपी बढ़ाया करते थे।
मुंबई पुलिस के प्रमुख परमवीर सिंह ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था कि 'इन चैनलों के बैंक खातों की जाँच की जाएगी और इसकी पड़ताल की जाएगी कि उनके खातों में जमा पैसे विज्ञापनों से मिले हैं या आपराधिक गतिविधियों से हुई कमाई है।' उन्होंने कहा था, 'यदि अपराध का खुलासा हुआ तो इन खातों को पुलिस अपने कब्जे में ले लेगी और कार्रवाई करेगी।'
परमवीर सिंह ने कहा था, 'रेटिंग को मनमर्जी तरीक़े से दिखाने के लिए घरेलू आँकड़ों का इस्तेमाल किया गया, इन चैनलों को ग़ैरक़ानूनी विज्ञापन फंड से पैसे मिले हैं। इसे फ़र्जीवाड़े से मिला पैसा माना जाएगा।'
परमवीर सिंह ने यह भी कहा कि न्यूज़ ट्रेंड में जोड़तोड़ और हेराफेरी कैसे की जाती है, झूठी कहानी कैसे गढ़ी जाती है, और ग़लत बात कैसे फैलाई जाती है, पुलिस तफ़्तीश में इसकी भी जाँच की जाएगी। इस पूरे मामले का विश्लेषण किया जाएगा।
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