मुंबई पुलिस दल के एक जांच अधिकारी सचिन वाजे को एनआईए अर्थात राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने गिरफ्तार किया है। उद्योगपति मुकेश अंबानी के घर के परिसर में एक संदिग्ध स्कॉर्पियो कार मिली। उस कार में जिलेटिन की बीस छड़ें थीं। इससे हलचल मच गई। अंबानी का नाम आने से इन सभी मामलों को पुलिस ने गंभीरता से लिया।
यह सब क्यों हुआ, कैसे हुआ, इस पर चर्चा शुरू हो गई लेकिन कुछ दिनों बाद इस गाड़ी के मालिक मनसुख हिरेन का शव मुंब्रा खाड़ी में मिलने से अंबानी के घर के सामने न फूटने वाली जिलेटिन की छड़ों का विस्फोट हो गया। विरोधी पक्ष के नेता फडणवीस ने विधानसभा में इस मामले को उठाया। सरकार ने वाजे का तबादला करके पूरे मामले की जांच राज्य आतंकवादी निरोधी दस्ते को सौंपी। इस मामले की जांच चल ही रही थी कि केंद्र सरकार ने ‘एनआईए’ को जांच के लिए भेजा। इसकी इतनी जल्दी आवश्यकता नहीं थी। लेकिन महाराष्ट्र के किसी मामले में टांग अड़ाने का मौका मिले तो केंद्र की जांच एजेंसियां भला पीछे क्यों रहें?
जिलेटिन की बीस छड़ें और कार मालिक की संदिग्ध मौत की जांच एनआईए ने अपने हाथ में लेकर तुरंत वाजे को गिरफ्तार करने का कर्तव्य पूरा कर दिखाया। वाजे की गिरफ्तारी के बाद भारतीय जनता पार्टी को जो आनंद मिला है, उसका वर्णन करने में शब्द कम पड़ जाएंगे। ‘‘वाजे की गिरफ्तारी हो गई हो” ऐसी गर्जना करते हुए इन लोगों का सड़क पर आना बाकी है।
इस खुशी का कारण यह है कि कुछ महीने पहले इसी वाजे ने रायगढ़ पुलिस की मदद से बीजेपी वालों के महंत अर्णब गोस्वामी को अन्वय नाईक आत्महत्या मामले में हथकड़ियां लगाई थीं। उस समय ये लोग गोस्वामी का नाम लेकर रो रहे थे और वाजे को श्राप दे रहे थे। ‘‘रुकिये, देख लेंगे, केंद्र में हमारी ही सत्ता है’’, ऐसा कह रहे थे, वह मौका अब साध लिया है।
बीस जिलेटिन छड़ों के मामले में वाजे को केंद्रीय जांच एजेंसी ने गिरफ्तार किया है। वाजे की गिरफ्तारी कानूनी या गैरकानूनी, इस चर्चा का अब कोई अर्थ नहीं है। विपक्ष की सरकारों को अस्थिर या बदनाम करने के लिए किसी भी स्तर पर जाना, फर्जी मामले निर्माण करना, राज्य सरकार के अधिकारों पर अतिक्रमण करना, ऐसे प्रकार बेझिझक चल रहे हैं।
सुशांत मामले में मुंबई पुलिस ने बेहतरीन जांच की, फिर भी केंद्र ने सीबीआई को इस मामले में घुसाया, उस सीबीआई ने भी कौन से दीये जलाए? हाथ मलते रह गए। कंगना रनौत इस बेताल अभिनेत्री ने गैरकानूनी काम किए फिर भी केंद्र सरकार और भाजपावाले उसके समर्थन में खड़े रहे।
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पुलवामा में विस्फोटकों का जखीरा कहां से अंदर घुसाया गया और उस विस्फोट में अपने 40 जवानों की बलि कैसे गई? ये आज भी रहस्य ही है! बिहार-नेपाल सीमा पर हथियार, विस्फोटकों की आवाजाही जारी ही रहती है। मणिपुर-म्यांमार सीमा पर स्थिति इस मामले में गंभीर ही रहती है। नक्सली क्षेत्रों में तो बंदूक, विस्फोटकों के कारखाने ही बन गए हैं, वहां देशविरोधी षड्यंत्र शुरू हैं, लेकिन तुम्हारी वो जिलेटिन छाप एनआईए है कि क्या है, वो उन विस्फोटकों को सूंघने भी नहीं गई। शायद केंद्र को इसकी आवश्यकता ही नहीं होगी।
महाराष्ट्र में कहीं कुछ खटका तो केंद्रीय एजेंसियां तुरंत महाराष्ट्र में दौड़ आती हैं। अब तो लगता है कि केंद्र सरकार की यह नीति ही बन गई है। अंबानी अपने देश की एक ऊंची हस्ती हैं। उनकी सुरक्षा में किसी प्रकार की कमी होनी ही नहीं चाहिए। इसीलिए उनके घर के परिसर में मिली बीस जिलेटिन की छड़ें और उसके बाद हुई मनसुख हिरेन की मौत, ये दोनों मामले गंभीर हैं। लेकिन इस मामले की जांच मुंबई पुलिस नहीं कर पाएगी, यह केंद्र सरकार परस्पर कैसे निर्धारित कर सकती है?
मुंबई बम ब्लास्ट के मुख्य आरोपियों को फांसी पर लटकानेवाली मुंबई पुलिस है, उसी तरह ‘26/11’ आतंकवादी हमले में कसाब जैसों को जान की बाजी लगाकर पकड़ने और फांसी पर लटकाने वाला मुंबई-महाराष्ट्र का पुलिस दल है। महाराष्ट्र के पुलिस दल की क्षमता और शौर्य की प्रशंसा विश्वभर में होते हुए भी बीस जिलेटिन छड़ों के लिए केंद्रीय जांच दस्ते का मुंबई में आना आश्चर्यजनक है। अर्थात, इससे यह स्पष्ट हो गया है कि ‘एनआईए’ का इस तरह से आना, ये पिछला हिसाब चुकता करने के लिए ही था।
वाजे व उनके सहयोगियों ने भंपक गोस्वामी को पकड़ा, उसके टीआरपी घोटाले का पर्दाफाश किया। इसके बदले में केंद्र ने वाजे को पकड़कर दिखाया। यहीं पर इस केस की फाइल बंद होती है। वाजे से कोई गलती हुई होगी और बीस जिलेटिन छड़ों के मामले में वे अपराधी होंगे तो उन पर नियमानुसार कार्रवाई करने में मुंबई पुलिस व आतंकवादी निरोधी दस्ता सक्षम था। लेकिन केंद्रीय जांच दस्ते को यह नहीं होने देना था। उसने वाजे को गिरफ्तार करके महाराष्ट्र पुलिस दल का अपमान किया है।
यह सब सुनियोजित ढंग से किया जा रहा है। वाजे को गिरफ्तार करके दिखाया, इसकी खुशी जो मना रहे हैं, वे राज्य की स्वायत्तता पर आघात कर रहे हैं। सत्य जल्द ही बाहर आएगा, ऐसी अपेक्षा।
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