ऑफ़िस में सहयोगियों के द्वारा जातीय भेदभाव पर आधारित कमेंट किए जाने के बाद एक 23 साल की डॉक्टर ने मुबंई में ख़ुदकुशी कर ली। डॉक्टर की माँ ने आरोप लगाया है कि उसके वरिष्ठ सहयोगी उस पर जातीय भेदभाव पर आधारित टिप्पणियाँ करते थे। डॉक्टर का नाम पायल सलमान तड़वी था और वह नायर अस्पताल में बतौर रेजिडेंट डॉक्टर तैनात थीं। पायल का एडमिशन आरक्षित कोटे से होने के कारण उसके तीन वरिष्ठ सहयोगी इसे लेकर उसे प्रताड़ित करते थे और बार-बार इसका जिक्र भी करते थे। पायल का शव 22 मई को उनके कमरे में मिला था।
तीनों ही वरिष्ठ सहयोगी अभी फरार बताये जा रहे हैं। महाराष्ट्र रेजिडेंट डॉक्टर्स एसोसिएशन ने तीनों को एसोसिएशन की प्राथमिक सदस्यता से निलंबित कर दिया है। अभियुक्तों के नाम हेमा आहूजा, भक्ति मेहर और अंकिता खंडेलवाल हैं। फरार डॉक्टर्स ने महाराष्ट्र एसोसिएशन ऑफ़ रेजिडेंट डॉक्टर्स को पत्र लिखकर कहा है कि वे चाहते हैं कि इस मामले की निष्पक्ष जाँच की जाए। उन्होंने पत्र में लिखा है कि यह सही तरीक़ा नहीं है कि पुलिस फ़ोर्स और मीडिया के दबाव में उनका पक्ष सुने बिना ही जाँच कर ली जाए।
वरिष्ठ पुलिस अधिकारी दीपक कुंडल ने बताया कि मामले में एफ़आईआर दर्ज कर ली गई है और तीनों अभियुक्तों के ख़िलाफ़ एससी-एसटी उत्पीड़न अधिनियम के तहत कड़ी कार्रवाई की जाएगी। इस क़ानून में जमानत मिलने का भी प्रावधान नहीं है।
तड़वी की माँ अबेदा भी कैंसर से जूझ रही हैं। समाचार एजेंसी एएनआई के मुताबिक़, अबेदा ने कहा कि तड़वी ने इसे लेकर कई बार अस्पताल के प्रबंधन से शिकायत की लेकिन अभियुक्तों के ख़िलाफ़ कोई कार्रवाई नहीं की गई। प्रबंधन ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि वह कार्रवाई करेंगे लेकिन लिखित में कुछ भी देने से इनकार कर दिया था। तड़वी की माँ के मुताबिक, ‘जब भी वह मुझसे फ़ोन पर बात करती थी तो वह कहती थी कि तीनों वरिष्ठ सहयोगी मुझे आदिवासी समुदाय से होने के कारण परेशान करते हैं। जातीय भेदभाव पर आधारित कमेंट करते हैं।’ अबेदा ने कहा कि हम अपनी बेटी के लिए न्याय चाहते हैं।
लेकिन अस्पताल के डीन रमेश भरमाल ने इस तरह के आरोपों को पूरी तरह ग़लत बताया है। पायल की माँ ने दावा किया है कि उन्होंने अस्पताल से उनकी बेटी के उत्पीड़न को लेकर शिकायत की थी। लेकिन हमें आज तक इसे लेकर उनकी कोई शिकायत नहीं मिली है। भरमाल ने कहा कि अस्पताल ने तीन सदस्यों वाली एंटी रैगिंग कमेटी बनाई है और तीनों अभियुक्तों को समन जारी किया है। कमेटी इस बारे में जल्द ही रिपोर्ट सौंपेगी। तड़वी की एक सहयोगी के मुताबिक़, तड़वी की माँ ने वास्तव में अस्पताल के प्रबंधन से उत्पीड़न को लेकर शिकायत की थी। सहयोगी ने एनडीटीवी से कहा, अगर अस्पताल प्रबंधन ने सही समय पर निर्णय लिया होता तो पायल की जान बच सकती थी और तीनों डॉक्टर्स का भी भविष्य बर्बाद नहीं होता।
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