बीजेपी और शिवसेना के साथ चुनाव लड़ने से विपक्षी गठबंधन कांग्रेस-एनसीपी की मुश्किलें बढ़ना तय माना जा रहा है। क्योंकि लोकसभा चुनाव परिणाम को अगर देखें तो राज्य की 48 में से 41 लोकसभा सीटों पर बीजेपी-शिवसेना को जीत मिली थी। इनमें से 23 सीटें बीजेपी को और 18 सीटें शिवसेना को मिली थीं और इसे विधानसभा सीटों के लिहाज से देखें तो राज्य की कुल 226 सीटों पर भगवा गठबंधन आगे रहा था जबकि कांग्रेस-एनसीपी सिर्फ़ 56 सीटों पर।
ख़बरों के मुताबिक़, जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 को हटाये जाने के बाद से ही बीजेपी यह दावा कर रही थी कि उसका जनाधार बढ़ा है और वह ज़्यादा सीटों की मांग कर रही थी। इस वजह से सीट बंटवारे को लेकर दोनों दलों के बीच सियासी मुक़ाबला चल रहा था।
दूसरी ओर कांग्रेस और एनसीपी के बीच सीटों को लेकर बंटवारा हो चुका है। कांग्रेस और एनसीपी 125-125 सीटों पर चुनाव लड़ेंगे। समझौते के मुताबिक़, 38 सीटें सहयोगी दलों के लिए छोड़ी गई हैं। इस विधानसभा चुनाव में एनसीपी और कांग्रेस दोनों के लिए हालात अच्छे नहीं है। दोनों ही दलों के कई वरिष्ठ नेता पार्टी छोड़कर जा चुके हैं और बीजेपी और शिवसेना में शामिल हो चुके हैं।
कुछ समय पहले विधानसभा में विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल ने कांग्रेस को अलविदा कह दिया था और बीजेपी में शामिल हो गए थे। महाराष्ट्र के सतारा से एनसीपी सांसद उदयनराजे भोसले बीजेपी में शामिल हो गए हैं। वरिष्ठ एनसीपी नेता गणेश नाईक बीजेपी में शामिल हो चुके हैं। एनसीपी के मुंबई प्रदेश अध्यक्ष सचिन अहीर के शिवसेना में जाने और पार्टी की महिला शाखा की प्रदेश अध्यक्ष चित्रा वाघ के बीजेपी में जाने से एनसीपी को करारा झटका लगा है। पार्टी के संस्थापक सदस्य मधुकर पिचड़ और अकोला से उनके विधायक पुत्र वैभव पिचड़ भी बीजेपी में चले गए हैं। इसके अलावा भी कांग्रेस-एनसीपी के नेताओं की लंबी फेहरिस्त है जो बीजेपी-शिवसेना में शामिल हो चुके हैं।
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