क्रॉस वोटिंग की आशंका के बीच, महाराष्ट्र विधान परिषद की 11 सीटों के लिए चुनाव शुक्रवार 12 जुलाई को हो रहे हैं। इस चुनाव में भाजपा की पंकजा मुंडे और शिवसेना (यूबीटी) प्रमुख उद्धव ठाकरे के सहयोगी मिलिंद नार्वेकर सहित 12 उम्मीदवार मैदान में हैं। इसी के साथ महाराष्ट्र में रिसॉर्ट और होटल पॉलिटिक्स इस चुनाव में हावी है और विधायकों के खरीद-फरोख्त की संभावना भी बढ़ गई है। महाविकास अघाड़ी (एमवीए) ने लोकसभा चुनाव में 30 सीटें जीती हैं, इसीलिए उसका मनोबल बढ़ा हुआ है। एमवीए ने तीन उम्मीदवारों को मैदान में उतारा है, जो उसके पास चुनने के लिए संख्या से एक अधिक है, जिससे चुनाव हो रहा है।
हाल ही में बीड से लोकसभा चुनाव हारने वाली पंकजा मुंडे के अलावा, भाजपा ने परिणय फुके को फिर से नामांकित करने के अलावा अमित गोरखे, सदाभाऊ खोत और योगेश टिलेकर को मैदान में उतारा है।
मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना ने पूर्व सांसद भावना गवली और कृपाल तुमाने को मैदान में उतारा है, जबकि उपमुख्यमंत्री अजीत पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी ने इन एमएलसी चुनावों के लिए शिवाजीराव गर्जे और राजेश विटेकर को नामांकित किया है। सत्तारूढ़ महायुति के घटक दलों में भाजपा, शिंदे सेना और अजीत की एनसीपी शामिल हैं, विपक्षी एमवीए में कांग्रेस, शरद पवार के नेतृत्व वाली एनसीपी और उद्धव की शिवसेना (यूबीटी) शामिल हैं।
मतदान का गणितः इस चुनाव में हर उम्मीदवार को जीतने के लिए 23 वोटों की जरुरत होगी। हर विधायक अपनी प्रिफरेंस (तरजीह) के हिसाब से वोट डालेगा। महाराष्ट्र विधानसभा में अब 288 की जगह 274 विधायक रह गए हैं। सत्तारूढ़ गठबंधन अपने विधायकों को एकजुट रखने के लिए पूरी ताकत से जुटा हुआ है। भाजपा के 103, शिंदे सेना के 38, एनसीपी के 42, कांग्रेस के 37, उद्धव सेना के 15 और एनसीपी (शरद पवार) के 10 विधायक हैं। 13 निर्दलीय विधायक हैं। नतीजे शुक्रवार को ही आ जाएंगे।
निर्दलियों के समर्थन से बीजेपी के पास 111 विधायकों की ताकत है। इसका मतलब है कि पार्टी को अपने सभी पांच उम्मीदवारों की जीत तय करने के लिए चार और वोटों की जरूरत होगी। शिंदे सेना का दावा है कि उसे प्रहार जनशक्ति पार्टी के दो विधायकों और सात निर्दलीय विधायकों का समर्थन प्राप्त है, जिससे उसकी संख्या 47 तक पहुंच सकती है। यह उसके दो उम्मीदवारों की जीत तय करने के लिए पर्याप्त होगा। अजीत की एनसीपी का दावा है कि उसे दो निर्दलियों का समर्थन प्राप्त है, जिससे संकेत मिलता है कि वह दोनों सीटें जीतने के लिए आवश्यक संख्या से पांच कम होगी।
एमवीए खेमे में, कांग्रेस की संख्या पार्टी के लिए एक सीट जीतने के लिए पर्याप्त है। शिवसेना यूबीटी के नार्वेकर की भी जीतने की उम्मीद है। हालांकि, कांग्रेस के तीन विधायकों में असंतोष की खबरें आ रही हैं।
एनसीपी (शरद पवार) के पास 13 विधायक हैं और किसान और श्रमिक पार्टी पीडब्ल्यूपी के जयंत पाटिल को जीतने के लिए, उसे उन सभी वोटों की आवश्यकता होगी। ऐसे में छोटे दलों जैसे कि बहुजन विकास अघाड़ी (तीन विधायक), एआईएमआईएम और समाजवादी पार्टी (प्रत्येक के दो विधायक) और सीपीआई (एम) के एक विधायक का समर्थन महत्वपूर्ण है।
दो साल पहले, एमएलसी चुनावों में आश्चर्यजनक नतीजे सामने आए थे, जिनमें कांग्रेस के चंद्रकांत हंडोरे की हार भी शामिल थी। इसके तुरंत बाद, एमवीए सरकार गिर गई थी। क्योंकि शिंदे ने तत्कालीन सीएम उद्धव के खिलाफ विद्रोह कर दिया था। जिसने शिवसेना विभाजित हो गई। इस बार, ऐसा लग रहा है कि मामला अलग है क्योंकि महायुति को विद्रोह का सामना करना पड़ रहा है और एमवीए अपने तीनों उम्मीदवारों की जीत तय करने की उम्मीद कर रही है।
क्रॉस-वोटिंग से बचने के लिए पार्टियों ने अपने विधायकों को होटलों में ठहराया हुआ है। शिंदे और अजीत दोनों ने अपने-अपने विधायकों के साथ कई दौर की बैठक की। भाजपा विधायकों ने पार्टी मुख्यालय में पार्टी प्रभारी भूपेन्द्र यादव से मुलाकात की, जबकि शिवसेना (यूबीटी) विधायक होटल आईटीसी ग्रैंड सेंट्रल में जमा हुए। कांग्रेस विधायकों की गुरुवार को होटल इंटरकॉन्टिनेंटल में बैठक हुई थी।एमवीए गठबंधन को कुछ महायुति विधायकों की थोड़ी मदद से एक अतिरिक्त तीसरी सीट जीतने की उम्मीद है। यानी महायुति के विधायक पाला बदल सकते हैं। इस वजह से उद्धव सेना या शरद पवार एनसीपी को उनके वोट मिल सकते हैं।
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