कभी अजित पवार पर महायुति सरकार की लाडकी बहिन योजना का श्रेय लेने का आरोप शिंदे सेना और बीजेपी ने लगाया था। यहां तक कि पिछले साल अपने चुनाव अभियान के दौरान खुद पवार ने इसे 'अजित दादा की लाडकी बहिन योजना' भी कहा था। आज, वही अजित पवार कह रहे हैं कि, वित्त मंत्री के रूप में, उन्हें उस योजना के मुकाबले राज्य की आर्थिक सेहत देखना होगा। जिस योजना की वजह से राज्य के खजाने पर हर साल ₹46,000 करोड़ का बोझ पड़ेगा।
चुनाव जीतने के लिए नवंबर 2024 के विधानसभा चुनाव में महायुति गठबंधन सरकार ने कई लोकलुभावन योजनाओं की घोषणा की थी। लेकिन मुख्यमंत्री फडणवीस माझी लाडकी बहिन योजना (एमएमएलबीवाई) को राजकोष पर भारी वित्तीय बोझ बता रहे हैं। अब वही महायुति सरकार वित्तीय बोझ की दुहाई दे रही है।
इस योजना के तहत महाराष्ट्र सरकार 21 से 65 वर्ष की आयु की हर महिला को प्रति माह ₹1,500 देती है, जिनकी वार्षिक पारिवारिक आमदनी ₹2.5 लाख से कम है। महिला एवं बाल कल्याण मंत्री अदिति तटकरे ने हाल ही में संवाददाताओं से कहा कि जो महिलाएं अयोग्य हैं और फिर भी योजना का लाभ उठा रही हैं, उनसे पैसे वापस करने के लिए कहा जाएगा।
अदिति तटकरे ने कहा कि क्रॉस-सत्यापन पांच क्षेत्रों में हो रहा है। कुछ लाभार्थियों की वार्षिक आय 2.5 लाख रुपये से अधिक होने, कुछ के पास एक से अधिक निजी वाहन होने, सरकारी नौकरियों में कार्यरत होने और शादी के बाद दूसरे राज्यों में जाने और दो सरकारी योजनाओं का लाभ लेने की शिकायतें मिली हैं। लाडकी बहिन योजना के 2.43 करोड़ से अधिक लाभार्थी हैं, जिससे राज्य के खजाने पर हर महीने लगभग ₹3,700 करोड़ का बोझ पड़ रहा है।
राउत ने आरोप लगाया कि सरकार ने महिला मतदाताओं को लुभाने के लिए पात्रता मानदंडों में ढील दी। यहां तक कि सालाना ₹2.5 लाख से ऊपर कमाने वालों और चार पहिया वाहन रखने वाली महिलाओं को भी ₹1,500 प्रति माह दिए गए। यह सब मतदाताओं को प्रभावित करने के लिए किया गया। अब जब उन्होंने अपना लक्ष्य हासिल कर लिया है तो सरकार को स्वार्थी की व्यवहार नहीं करना चाहिए। जांच करने के बजाय, उन्हें इस योजना को बिना उत्पीड़न के जारी रखना चाहिए।
इसी तरह का बयान देते हुए एनसीपी (शऱद पवार) के प्रवक्ता महेश तापसे ने चेतावनी दी कि यदि सरकार पैसे की वापसी की मांग करती है या लाभार्थियों को योजना से बाहर करती है तो राज्यव्यापी विरोध प्रदर्शन किया जाएगा। तापसे ने कहा कि “अगर सरकार जांच की आड़ में महिलाओं को परेशान करती है, तो महा विकास अघाड़ी सड़कों पर उतरेगी। तपसे ने कहा, चुनाव से पहले सत्यापन को आसानी से नजरअंदाज करने के बाद वे अब 'सुशासन' का नाटक नहीं कर सकते।
तापसे ने कहा कि वोट पाने के लिए अंधाधुंध आवेदनों को मंजूरी दे दी। अब, वे उन्हीं महिलाओं का अपमान नहीं कर सकते जिन्होंने उन पर भरोसा किया और उन्हें वोट दिया। तापसे ने सरकार को योजना के तहत मासिक सहायता ₹1,500 से बढ़ाकर ₹2,100 करने के अपने चुनावी वादे की भी याद दिलाई। महायुति घोषणापत्र में ₹2,100 तक वृद्धि का वादा किया गया था। उन्हें अपनी बात रखनी चाहिए। बता दें कि मुख्यमंत्री फडणवीस ने शपथ लेने के बाद अपनी पहली प्रेस कॉन्फ्रेंस में, इस योजना को जारी रखने और वादे के अनुसार पैसा बढ़ाकर ₹2,100 करने की सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई थी।
भाजपा नेता सुधीर मुनगंटीवार ने चुनावी वादों का सम्मान करने के महत्व पर जोर दिया। उन्होने कहा कि अगर हम वादे के मुताबिक पैसा बढ़ाकर ₹2,100 करने में नाकाम रहते हैं, तो यह राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बन जाएगा और हमारी विश्वसनीयता कमजोर हो जाएगी। घोषणापत्र समिति के अध्यक्ष के रूप में, मैं मुख्यमंत्री को पत्र लिखूंगा और उनसे मतदाताओं के प्रति हमारी प्रतिबद्धताओं पर दृढ़ रहने का आग्रह करूंगा।
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