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हमले की शुरुआत रोहित पवार की तरफ से हुई। दरअसल, जहां पर कार्यक्रम हो रहा था, वहां कुछ पोस्टर लगे हुए थे, जिनमें पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जयंत पाटिल को चुनाव में जीत दिलाने वाले जनरल के रूप में पेश किया गया था।
रोहित पवार ने जयंत पर कटाक्ष करते हुए कुछ पोस्टरों की ओर इशारा करते हुए कहा- “आने वाले समय में, कोई भी यह दावा कर सकता है कि जीत के पीछे कोई किंगमेकर या जनरल है। हालाँकि, यह जीत किसी एक व्यक्ति या एक-दो नेताओं की वजह से नहीं बल्कि असल में आम कार्यकर्ताओं की वजह से हासिल हुई है। और शरद पवार का इस उम्र (83 वर्ष) में किए गए प्रयासों के लिए धन्यवाद।”
रोहित ने यह भी कहा कि “कुछ नेता ऐसे होते हैं जो एक ही समय में दो नावों की सवारी करते रहते हैं। उन्हें बताया जाना चाहिए कि उन्हें एक ही जगह रहना होगा।” उन्होंने राज्य पार्टी इकाई से संबंधित विभिन्न संगठनात्मक मामलों के बारे में भी चिंता व्यक्त की, जिसका नेतृत्व जयंत अप्रैल 2018 से कर रहे हैं।
रोहित पवार ने आलाकमान को आगाह करते हुए कहा कि “ऐसे लोग होंगे जो वापस लौटना चाहेंगे। वे दावा करेंगे कि दूसरी तरफ होने के बावजूद उन्होंने चुनाव में हमारी मदद कैसे की। मैं कहना चाहता हूं कि किसी को भी अंदर लेने से पहले उन लोगों के बारे में सोचें जो जरूरत के समय हमारी पार्टी के साथ खड़े रहे। हमें अपने कैडर और कार्यकर्ताओं को मजबूत करने के बारे में सोचना चाहिए।”
पार्टी सूत्रों के मुताबिक रोहित और जयंत के बीच पिछले छह महीने से अधिक समय से तनातनी चल रही है। रोहित गुट की नजर पार्टी के प्रदेश यूथ विंग अध्यक्ष पद पर है। रोहित खुद इसका अध्यक्ष बनना चाहते हैं। जयंत इसका विरोध कर रहे हैं। पहली बार विधायक बने रोहित को खुद अब तक पार्टी में कोई पद नहीं मिला है। रोहित ने जब युवा संघर्ष यात्रा निकाली तो उनके कुछ समर्थकों को कथित तौर पर जयंत के दफ्तर ने फटकार तक लगाई।
चुनाव नतीजों के बाद एनसीपी अजीत पवार खेमे के कुछ विधायकों ने पार्टी में लौटने की कोशिश की है। जयंत पाटिल ने इस संबंध में शरद पवार से चर्चा भी की। लेकिन रोहित पवार वापस लौटने वाले विधायकों का विरोध कर रहे हैं। रोहित का कहना है कि किसी भी विधायक को वापस नहीं लिया जाना चाहिए।
चुनाव नतीजों के बाद तो रोहित पवार बहुत आक्रामक तरीके से भाजपा और अजीत पवार गुट पर निशाना साध रहे हैं। वहीं एक अनुभवी राजनेता होने के नाते जयंत पाटिल ने इससे बच रहे हैं। रोहित पवार और उनकी यूथ ब्रिगेड को डर है कि अजीत खेमे के कुछ विधायकों की वापसी पर उन्ही लोगों को प्राथमिकता दी जाएगी। लेकिन जो संकट के समय पार्टी के साथ खड़े थे, वे पीछे रह जाएंगे।”
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