महाराष्ट्र में लोकसभा चुनाव पांचवें चरण में पहुंच गया है। शिवसेना यूबीटी, कांग्रेस, एनसीपी शरद पवार के नेतृत्व वाले महाविकास अघाड़ी (एमवीए) ने भाजपा, एनसीपी अजीत पवार, शिवसेना शिंदे गुट के महायुति प्रत्याशियों के लिए तमाम सीटों पर मुश्किलें पैदा कर दी हैं। महाराष्ट्र में लोकसभा की 48 सीटें हैं। 2019 के चुनाव में भाजपा ने 42 सीटें जीती थीं। लेकिन कुछ भाजपा सांसदों के बार-बार यह बयान देने के बाद कि हम 400 सीटें इसलिए चाहते हैं ताकि संविधान बदल सकें, इसका सीधा असर महाराष्ट्र में दलित मतदाताओं पर हुआ है। उन्होंने मुस्लिम मतदाताओं के साथ एक तालमेल बनाकर महाराष्ट्र में एनडीए या महायुति का संकट बढ़ा दिया है। इकोनॉमिक टाइम्स ने गुरुवार को इस संबंध में जमीनी हालात का जायजा लेते हुए एक रिपोर्ट प्रकाशित की है।
महाराष्ट्रः क्या दलित-मुस्लिम गठजोड़ ने भाजपा और महायुति की मुश्किलें बढ़ाईं?
- महाराष्ट्र
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- 29 Mar, 2025
महाराष्ट्र में राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं। 2019 के लोकसभा चुनाव में भाजपा ने दलितों और ओबीसी के वोट लेकर महाराष्ट्र में बाजी पलट दी थी। लेकिन 2024 के आम चुनाव में देखने को यह मिल रहा है कि दलितों और मुसलमानों ने महाविकास अघाड़ी (एमवीए) के साथ जाने का फैसला कर लिया है। इसका संकेत इस बात से मिला है कि कई सीटों पर प्रकाश अंबेडकर की पार्टी वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) और असदुद्दीन ओवैसी की एआईएमआईएम ने अपने प्रत्याशी समुदाय के दबाव पर हटा लिए। जानिए महाराष्ट्र की राजनीतिः
