महाराष्ट्र में एक बार फिर उद्धव ठाकरे की सरकार संकट में दिखाई देती दिख रही है। कई दिनों से कयास लगाए जा रहे हैं कि महाराष्ट्र सरकार में शामिल तीनों दलों- कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष नाना पटोले ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे को एक चिट्ठी लिखकर अब कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत चलने को कहा है।
पटोले का कहना है कि कोरोना की वजह से कॉमन मिनिमम प्रोग्राम यानी सीएमपी का ढांचा कुछ बिगड़ गया था लेकिन अब सीएमपी पर चलने की ज़रूरत है। पटोले का कहना है कि जब महाराष्ट्र में महा विकास आघाडी का गठन हुआ था तो उस समय तीनों ही पार्टियों ने कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के तहत चलने का वादा किया था लेकिन अब उसमें कुछ अड़चनें दिखाई दे रही हैं।
पटोले ने ठाकरे को चिट्ठी में कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना के बीच बने कॉमन मिनिमम प्रोग्राम की याद दिलाई है। पटोले द्वारा चिठ्ठी लिखने के बाद एक बार फिर से तीनों दलों के बीच गहमागहमी बढ़ गयी है।
उधर महाराष्ट्र कांग्रेस में भी सब कुछ ठीक होता हुआ नहीं दिख रहा है। इसका ताजा मामला उस समय सामने आया जब कांग्रेस के क़रीब 25 विधायकों ने दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखी और उनसे मिलने का वक़्त मांगा। ख़बर है कि कांग्रेस के ये 25 विधायक अपने संगठन से नाराज़ हैं, यही कारण है कि उन्होंने सीधे सोनिया गांधी से मिलने का समय मांगा है।
महाराष्ट्र में पिछले ढाई साल से कांग्रेस, एनसीपी और शिवसेना की सरकार चल रही है। आए दिन ये ख़बरें आती रही हैं कि किसी न किसी दल के विधायक अपनी ही पार्टी और मंत्रियों के कामकाज से खुश नहीं हैं।
कांग्रेस के क़रीब 25 विधायक इस समय महाराष्ट्र में पार्टी के कामकाज से खुश नहीं हैं।
महाराष्ट्र कांग्रेस के एक विधायक ने नाम नहीं छापने की शर्त पर बताया कि कांग्रेस के जितने भी मंत्री इस समय सरकार में मौजूद हैं वे अपने ही विधायकों के कामकाजों पर ना तो कोई सलाह मशविरा करते हैं और ना ही उन्हें मिलने का समय देते हैं। ऐसे में उनके चुनावी क्षेत्र में उन्हें जनता के ग़ुस्से का शिकार होना पड़ रहा है।
पश्चिम महाराष्ट्र के एक दूसरे कांग्रेस के विधायक ने बताया कि जब महाराष्ट्र में कांग्रेस ने शिवसेना और एनसीपी के साथ मिलकर सरकार बनाई थी तो सभी कांग्रेस के विधायकों को केंद्रीय आलाकमान और इसके अलावा महाराष्ट्र के बड़े नेताओं ने बताया था कि कांग्रेस के जो भी मंत्री सरकार में शामिल होंगे वे अपने विधायकों के कामकाज का ब्यौरा लिया करेंगे और उनके अटके हुए कामों को सरकार द्वारा कराया जाएगा। इसके साथ ही आलाकमान ने एक मंत्री को तीन विधायकों का काम कराने की ज़िम्मेदारी दी थी लेकिन पिछले ढाई साल में किसी भी विधायक को यह तक पता नहीं है कि उनका मंत्री कौन है।
जितने भी विधायकों ने कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर मिलने का समय मांगा है उनका यही कहना है कि उनकी ही पार्टी के मंत्री जो इस समय सरकार में हैं ना तो उनसे उनके कामों के बारे में कोई चर्चा करते हैं और न ही उन्हें मिलने का समय दिया जाता है। ऐसे में उनके इलाक़ों में विकास के कार्य थमते जा रहे हैं।
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सूत्रों का कहना है कि इन कांग्रेस के असंतुष्ट विधायकों ने चिट्ठी में यह भी लिखा है कि कांग्रेस के अलावा एनसीपी और शिवसेना के जो भी मंत्री इस समय सरकार में हैं वे अपने-अपने विधायकों के क्षेत्रों में विकास के कार्यों का जायजा लेने के लिए जाते रहते हैं एवं उन्हें फंड भी मुहैया कराते रहते हैं लेकिन कांग्रेस की तरफ़ से ऐसा नहीं किया जा रहा है।
महाराष्ट्र कांग्रेस के प्रभारी एच के पाटिल भी महाराष्ट्र कांग्रेस में चल रही इस नाराज़गी के बारे में जानते हैं लेकिन उनकी तरफ से भी कोई ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। हालाँकि एच के पाटिल ने कुछ दिन पहले ही महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले को कांग्रेस के नए मेंबरशिप ड्राइव को सही तरीक़े से कार्यान्वित नहीं करने के लिए चेताया था। इसके साथ ही आलाकमान ने भी नाना पटोले को कांग्रेस के मेंबर बढ़ाने में तेजी लाने के लिए कहा था।
महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष नाना पटोले से जब इस बारे में पूछा गया कि इस समय महाराष्ट्र कांग्रेस में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है और कुछ विधायकों ने कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को मिलने का समय मांगा है तो पटोले ने कहा कि उन्हें इस बारे में कोई जानकारी नहीं है। अगर कांग्रेस के कुछ विधायक अपनी ही पार्टी के मंत्रियों से नाराज़ हैं या फिर उन्हें मिलने का समय नहीं दिया जा रहा है तो उन्हें मुझसे बात करनी चाहिए। इस बात को यहीं महाराष्ट्र में ही सुलझाया जा सकता है।
शिवसेना नेता कृष्णा हेगड़े का कहना है कि वैसे तो यह कांग्रेस का अंदरूनी मामला है लेकिन अगर वाक़ई में कुछ विधायकों के साथ इस तरह की नाइंसाफी हो रही है तो कांग्रेस आलाकमान को इस बारे में फौरन दखल देना चाहिए। हेगड़े का कहना है कि शिवसेना में उनके विधायक अपनी बात रखने के लिए सीधे पार्टी प्रमुख तक पहुँच जाते हैं। इसके अलावा जो भी विकास के कार्य उनके क्षेत्रों में होने चाहिए उसके लिए मंत्रियों के ज़रिये उन कार्यों की समीक्षा भी की जाती है। हेगड़े का कहना है कि उन्हें लगता है कि यह ज़्यादा बड़ा मसला नहीं है और कांग्रेस इसे अपने स्तर पर ही सुलझा लेगी।
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