महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे विधान परिषद के लिए निर्विरोध निर्वाचित हो जाएंगे। कांग्रेस ने रविवार को कहा है कि वह उसके दो में से एक नेता का नामांकन वापस ले लेगी। महाराष्ट्र में विधान परिषद की 9 सीटों के लिए 21 मई को चुनाव होने हैं।
महाराष्ट्र कांग्रेस के अध्यक्ष बाला साहेब थोराट ने कहा, ‘हमारे दो नेताओं ने नामांकन किया था लेकिन हमने इसमें से सिर्फ़ एक ही को मैदान में उतारने का फ़ैसला किया है।’ उन्होंने कहा कि राज्य की महा विकास अघाडी सरकार में शामिल तीनों दलों (शिवसेना, कांग्रेस और एनसीपी) की ओर से चुनाव में 5 उम्मीदवार उतारे जाएंगे। बीजेपी ने 4 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे हैं।
अब 9 सीटों के लिए 9 ही उम्मीदवार मैदान में हैं। ऐसे में चुनाव कराने की नौबत नहीं आएगी। नामांकन भरने की अंतिम तारीख़ 12 मई है और नाम वापस लेने की अंतिम तारीख़ 14 मई है।
चूंकि उद्धव ठाकरे विधानसभा या विधान परिषद में से किसी भी सदन के सदस्य नहीं थे, इसलिए उन्हें मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के 6 माह के भीतर किसी एक सदन के लिए निर्वाचित होना ज़रूरी था। इससे पहले शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ने कहा था कि उद्धव ठाकरे का मानना है कि विधान परिषद के लिए चुनाव निर्विरोध होना चाहिए।
उद्धव ठाकरे के विधान परिषद का सदस्य बनने को लेकर ख़ासी गहमागहमी हुई थी क्योंकि कोरोना संकट के कारण इन चुनावों को टालने की स्थिति आ गई थी। राज्य कैबिनेट की ठाकरे को विधान परिषद का सदस्य मनोनीत करने की सिफ़ारिश पर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी ने लंबे समय तक जवाब नहीं दिया था। बाद में चुनाव आयोग के राज्य में चुनाव कराने के निर्देश दिए थे।
बीजेपी में घमासान जोरों पर
दूसरी ओर, महाराष्ट्र बीजेपी में विधान परिषद चुनाव में टिकट बंटवारे को लेकर घमासान सड़कों पर आ गया है। बीजेपी ने गोपीचंद पडलकर, रणजीत सिंह मोहिते पाटिल, प्रवीण दटके और डॉ. अजीत गोपछडे को मैदान में उतारा है जबकि देवेंद्र फडणवीस सरकार में राजस्व मंत्री रहे एकनाथ खडसे, पंकजा मुंडे, विनोद तावड़े, चंद्रशेखर बावनकुले जैसे वरिष्ठ नेताओं को मौका नहीं दिया गया है। टिकट बंटवारे को लेकर वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे ने कहा है कि जिन्हें टिकट दिया गया है वे दूसरी पार्टी से आए नेता हैं तथा इसमें से एक ने ‘नरेंद्र मोदी गो बैक’ के नारे भी लगाए हैं।
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