महाराष्ट्र बीजेपी प्रमुख चंद्रकांत पाटिल ने राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी यानी एनसीपी नेता सुप्रिया सुले पर पर बेहद विवादास्पद टिप्पणी की है। उन्होंने एक विरोध प्रदर्शन के दौरान सांसद से कहा, 'अगर आप राजनीति नहीं समझती हैं तो घर जाकर खाना बनाएँ।' महाराष्ट्र में ओबीसी के लिए आरक्षण को लेकर दोनों पार्टियों के बीच विवाद के बीच पाटिल ने यह सेक्सिस्ट यानी महिला विरोधी टिप्पणी की है। सुप्रिया सुले के पति सदानंद सुले ने इस टिप्पणी की कड़ी आलोचना की है।
सदानंद सुले ने ट्वीट किया, 'यह महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष सुप्रिया के बारे में बोल रहे हैं। मैंने हमेशा यह कहा है कि वे (भाजपा) महिला द्वेषी हैं और जब भी संभव हो महिलाओं को नीचा दिखाते हैं।'
I am proud of my wife who is a homemaker, mother and a SUCCESSFUL politician, one amongst many other hardworking and talented women in India….this is an insult to all women….
— sadanandsule (@sadanandsule) May 25, 2022
उन्होंने आगे कहा है, 'मुझे अपनी पत्नी पर गर्व है जो एक गृहिणी, माँ और एक सफल राजनीतिज्ञ हैं, जो भारत में कई अन्य मेहनती और प्रतिभाशाली महिलाओं में से एक हैं। यह सभी महिलाओं का अपमान है।'
बहरहाल, बीजेपी नेता चंद्रकांत पाटिल ने बुधवार को ऐसी टिप्पणी ओबीसी आरक्षण के मामले में सुप्रिया सुले के बयान की प्रतिक्रिया में की।
बुधवार को ही सुप्रिया सुले इसी मुद्दे पर पार्टी की एक बैठक को संबोधित कर रही थीं। बीजेपी शासित मध्य प्रदेश को ओबीसी आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट से राहत कैसे मिली, इस पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा था, 'मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री दिल्ली आए और किसी से मिले... मुझे नहीं पता कि अचानक क्या हुआ। अगले दो दिन और उन्हें ओबीसी आरक्षण के लिए हरी झंडी मिल गई...'।
सुप्रिया सुले की पार्टी एनसीपी महाराष्ट्र में शिवसेना और कांग्रेस के साथ सत्ता साझा करती है। जब सुप्रिया सुले की यह टिप्पणी आरक्षण के मुद्दे पर ही विरोध-प्रदर्शन कर रहे महाराष्ट्र बीजेपी अध्यक्ष पाटिल के पास पहुँची तो उन्होंने चुटकी ली, 'आप राजनीति में भी क्यों हैं? बस घर जाओ और खाना बनाओ। दिल्ली जाओ या कब्रिस्तान में, लेकिन हमें ओबीसी कोटा दिलाओ। एक लोकसभा सदस्य होने के बावजूद आप कैसे नहीं जानतीं कि मुख्यमंत्री से अप्वाइंटमेंट कैसे लेते हैं?'
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्थानीय निकायों में ओबीसी के लिए राजनीतिक आरक्षण पर रोक लगाने के बाद पिछले कुछ महीनों में महाराष्ट्र की राजनीति तेज हो गई है। बीजेपी ने अदालतों में ओबीसी आरक्षण की लड़ाई हारने के लिए राज्य सरकार को दोषी ठहराया है, वहीं सत्तारूढ़ महाविकास अघाडी ने केंद्र पर आँकड़े उपलब्ध नहीं कराने का आरोप लगाया है।
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