शिवसेना के उद्धव ठाकरे धड़े को अब शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे के नाम से जाना जाएगा। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाले प्रतिद्वंद्वी गुट को बालासाहेबंची शिवसेना कहा जाएगा। यह प्रावधान उपचुनाव तक के लिए रहेगा। चुनाव आयोग ने सोमवार को यह घोषणा की। ठाकरे खेमे का नया पार्टी चिह्न मशाल होगा, जबकि शिंदे गुट को अभी तक पार्टी का चुनाव चिह्न नहीं दिया गया है। शिंदे खेमे को नये सिरे से मंगलवार को तीन चिह्नों की सूची देने को कहा गया है। पहले जो इसने सूची दी थी उसमें से कोई भी नियमों के तहत सही नहीं था।
इससे पहले दोनों गुटों की ओर से प्रस्तावित गदा और त्रिशूल को चुनाव आयोग ने खारिज कर दिया था क्योंकि वे धार्मिक प्रतीक थे। कहा जाता है कि मुख्य चुनाव आयुक्त राजीव कुमार ने राजनीतिक दलों को धार्मिक अर्थ वाले प्रतीकों के आवंटन के खिलाफ कड़ा रुख अपनाया है। शिंदे खेमे को चुनाव आयोग ने कल सुबह 10 बजे तक तीन नए विकल्प उपलब्ध कराने को कहा है।
चुनाव आयोग ने उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे खेमों में खींचतान के बीच शिवसेना के धनुष-बाण वाले चुनाव चिह्न के इस्तेमाल पर रोक लगा दी है। इसका मतलब है कि शिवसेना के इस चिह्न का इस्तेमाल आगे आने वाले उपचुनाव में न तो उद्धव ठाकरे खेमा और न ही शिंदे खेमा कर सकता है। 3 नवंबर को अंधेरी (पूर्व) विधानसभा के उपचुनाव होने हैं। इसी को लेकर दोनों खेमे पार्टी के चुनाव चिह्न पर दावे कर रहे थे।
शिवसेना के ठाकरे धड़े ने तीन नामों और प्रतीकों की सूची दी थी। सूत्रों के हवाले से मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि इसने 'शिवसेना बालासाहेब ठाकरे', 'शिवसेना उद्धव बालासाहेब ठाकरे' और 'शिवसेना बालासाहेब प्रबोधनकर ठाकरे' नाम की सूची सौंपी थी। इसके साथ ही इसने उपचुनाव में चुनाव चिह्न के लिए त्रिशूल, उगता सूरज और मशाल की सूची सौंपी थी। चुनाव आयोग के निर्देश के बाद यह किया गया।
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विद्रोहियों ने शिवसेना के नाम और चुनाव चिह्न को फ्रीज करने का एक घिनौना और बेशर्म काम किया है। इसे महाराष्ट्र की जनता बर्दाश्त नहीं करेगी। लड़ेंगे और जीतेंगे! हम सच्चाई के पक्ष में हैं! सत्यमेव जयते!
आदित्य ठाकरे, शिवसेना विधायक
बता दें कि चुनाव आयोग का आदेश सुप्रीम कोर्ट द्वारा उद्धव के नेतृत्व वाले खेमे की याचिका को खारिज करने के कुछ दिनों बाद आया है। उस याचिका में उद्धव खेमे ने चुनाव आयोग की उस कार्यवाही पर रोक लगाने की मांग की गई थी जिसमें शिंदे ने अपने गुट को 'असली शिवसेना' के रूप में मान्यता देने और पार्टी का चुनाव चिह्न देने का आवेदन दिया था।
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