महाराष्ट्र बीजेपी में देवेंद्र फडणवीस के उभार के बाद से ही हाशिए पर डाल दिए गए वरिष्ठ नेता एकनाथ खडसे ने पार्टी को अलविदा कहने का एलान कर दिया है। अलविदा कहते वक्त भी वे फडणवीस पर ही बरसे हैं। खडसे के जाने से महाराष्ट्र बीजेपी में एक बड़ा शून्य पैदा होगा क्योंकि खडसे राज्य की ओबीसी आबादी के बड़े नेता थे।
खडसे के बीजेपी छोड़ने की चर्चा पिछले साल नवंबर में हुए विधानसभा चुनाव के बाद से ही जोरों पर थी। राज्य सरकार में मंत्री रहे खडसे ने आरोप लगाया था कि उन्हें और वरिष्ठ नेताओं चंद्रशेखर बावनकुले और विनोद तावडे को जानबूझकर विधानसभा चुनाव में प्रचार से दूर रखा गया।
एनसीपी में जाएंगे
खडसे एनसीपी में जा रहे हैं। महाराष्ट्र एनसीपी के अध्यक्ष जयंत पाटिल ने इसकी पुष्टि करते हुए कहा है कि खडसे शुक्रवार को दिन में 2 बजे पार्टी में शामिल होंगे। उन्होंने कहा कि इससे पार्टी को मजबूती मिलेगी। वैसे, इस बात की चर्चा लंबे वक़्त से थी कि खडसे एनसीपी में ही जाएंगे और उनकी पार्टी मुखिया शरद पवार से मुलाक़ात भी हुई थी।
'मानसिक तनाव में रहा'
खडसे ने बुधवार को फडणवीस पर बरसते हुए कहा, ‘देवेंद्र फडणवीस ने मेरा जीवन बर्बाद कर दिया। मैं चार साल तक मानसिक तनाव में रहा। मैंने कई बार कहा कि तुम (फडणवीस) मुझे पार्टी से बाहर जाने के लिए मजबूर कर रहे हो। मुझे बीजेपी छोड़ने का दुख है लेकिन मेरे पास कोई रास्ता नहीं है।’ ओबीसी समाज के इस दिग्गज नेता ने कहा कि उन्हें बलात्कार के झूठे मामले में फंसाने की कोशिश की गई।
खडसे के एनसीपी में आने को लेकर पार्टी मुखिया शरद पवार ने कहा है कि महाराष्ट्र में बीजेपी को खड़ा करने में खडसे की अहम भूमिका रही है जबकि फडणवीस ने कहा कि इस तरह के मुहूर्त के बारे में लगभग हर रोज बातें होती हैं और वे इस पर बात नहीं करेंगे।
पंकजा को मनाया
राज्य में महा विकास अघाडी की सरकार बनने के बाद से ही खडसे और पंकजा मुंडे को लेकर चर्चाएं होती रहीं कि ये दोनों नेता पार्टी को छोड़ सकते हैं। पंकजा राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री गोपीनाथ मुंडे की बेटी हैं। पंकजा ने भी देवेंद्र फडणवीस के ख़िलाफ़ बग़ावती तेवर अपनाए थे और कार्यकर्ताओं का सम्मेलन भी बुलाया था। तब उन्हें मनाने में महाराष्ट्र बीजेपी ने पूरी ताक़त झोंक दी थी। कुछ दिन पहले जारी की गई पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्डा की नई टीम में पंकजा को राष्ट्रीय सचिव बनाकर उन्हें पार्टी में रोकने की कोशिश की गई। लेकिन खडसे खाली हाथ थे।
फडणवीस ने लगाया किनारे?
खडसे महाराष्ट्र बीजेपी में बड़े क़द के नेता थे और 2014 तक विधानसभा में नेता विरोधी दल थे। 2014 में बीजेपी के सत्ता में आने के बाद मुख्यमंत्री पद पर उनका दावा सबसे प्रबल था। लेकिन कहा जाता है कि मोदी-शाह की पसंद के चलते देवेंद्र फडणवीस को मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बिठा दिया गया।
खडसे एक साल तक फडणवीस की सरकार में मंत्री भी रहे थे लेकिन ज़मीन सौदे में अनियमितता के एक मामले में उनसे इस्तीफ़ा ले लिया गया था।
खडसे इस बात से सख़्त नाराज़ थे कि राज्य सरकार द्वारा बैठाई गयी जांच समिति में क्लीन चिट मिलने के बाद भी फडणवीस ने उन्हें दुबारा मंत्री नहीं बनाया। इसके अलावा पिछले विधानसभा चुनाव में उनका टिकट काट दिया गया और इसका आरोप भी फडणवीस पर ही लगा।
कितना होगा नुक़सान?
बीजेपी को महाराष्ट्र के ओबीसी समाज के मतदाताओं के वोट दिलाने वाले प्रमुख नेता गोपीनाथ मुंडे और खडसे ही थे। इन दोनों नेताओं की बदौलत ही मराठा समुदाय के प्रभुत्व वाले महाराष्ट्र में बीजेपी को राजनीतिक ज़मीन मिली और वह शिव सेना के साथ मिलकर सत्ता तक पहुंची। महाराष्ट्र में लगभग 40 फ़ीसदी वाले ओबीसी समुदाय में बीजेपी को खडसे के कद का नेता खोजना होगा।
बीते कई सालों में खडसे बार-बार अपनी उपेक्षा की बात कहते रहे लेकिन पार्टी हाईकमान का हाथ फडणवीस के सिर पर था, इसलिए उनकी कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई। पिछले विधानसभा चुनाव के बाद खडसे और पंकजा मुंडे की जोड़ी ने फडणवीस को हटाने के लिए पूरा जोर लगाया। खडसे पंकजा को प्रदेश अध्यक्ष बनाना चाहते थे लेकिन फडणवीस से छत्तीस के आंकड़े के चलते ऐसा नहीं हो पा रहा था।
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