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विपक्षी एकता- सब जानवर मिलकर भी बाघ का शिकार नहीं कर सकते: फडणवीस

विपक्षी दल 2024 में बीजेपी का मुकाबला करने के लिए एकजुट हुए हैं। इस संदर्भ में विपक्षी दलों की जल्द ही पटना में एक अहम बैठक होने वाली है और वे दावे कर रहे हैं कि वे एकजुट लड़कर चुनाव में बीजेपी को पखटनी दे देंगे। लेकिन विपक्षी दलों के संयुक्त मोर्चा बनाने के ऐसे प्रयासों पर महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री और भाजपा के वरिष्ठ नेता देवेंद्र फडणवीस ने तंज कसा है। उन्होंने कहा है कि विपक्षी दल पीएम मोदी को हरा नहीं सकते।

नागपुर में पार्टी के एक समारोह में एक सभा को संबोधित करते हुए फडणवीस ने कहा, 'जंगल में चाहे कितने भी जानवर एक साथ आएं और एकजुट हों, वे एक बाघ का शिकार नहीं कर सकते। बाघ जंगल पर राज करता है। वैसे ही मोदी राजा हैं। विपक्ष कितना भी नंबर जुटा ले, मोदी को नहीं हरा सकता।'

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देवेंद्र फडणवीस की यह टिप्पणी रविवार को एक कार्यक्रम में आयी जहां पूर्व कांग्रेस नेता आशीष देशमुख भाजपा में शामिल हुए। कार्यक्रम के दौरान उन्होंने लोगों को संबोधित किया और विपक्ष को चुनाव से पहले अपना नेता घोषित करने की चुनौती दी। बीजेपी नेता ने कहा कि प्रधानमंत्री मंत्री नरेंद्र मोदी निर्विवाद किंग बने हुए हैं। हालांकि, इसके साथ उन्होंने यह भी साफ़ किया कि वह सिर्फ एक उपमा दे रहे हैं और इसे ग़लत नहीं समझा जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि मैं यह नहीं कह रहा कि विपक्ष जानवर है।

23 जून को पटना में एक बड़ी रैली आयोजित करने की विपक्ष की योजना पर कटाक्ष करते हुए फडणवीस ने कहा, '2019 के चुनावों से पहले इसी तरह का प्रयास किया गया था, लेकिन तब कांग्रेस ने केवल 48 सीटों पर जीत हासिल की थी, जो 55 से कम थी।' उन्होंने कहा कि विपक्षी एकता में दरारें हैं और उसके खेमे में किसी भी नेता को लेकर एकमत नहीं है। उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी वाम दलों से निकटता के कारण कांग्रेस से नाखुश हैं, वहीं बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू नेता नीतीश कुमार के अपने मुद्दे हैं। उन्होंने कहा कि कोई किसी को नेता के रूप में स्वीकार नहीं करना चाहता।

फडणवीस ने कहा कि महाराष्ट्र में भी स्थिति वैसी ही है और कांग्रेस, राकांपा व शिवसेना (यूबीटी) में भी ऐसी ही दिक्कतें हैं। फडणवीस ने कहा कि एमवीए में दरारें आ गई हैं। 
प्रमुख विपक्षी दल 23 जून को पटना में एकजुट हो रहे हैं और 2024 के चुनाव के लिए बीजेपी को कड़ी चुनौती पेश करने वाले हैं।

बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार सभी विपक्षी दलों से बातचीत कर रहे हैं और माना जा रहा है कि वह इसमें सफल भी होते दिख रहे हैं। वैसे, कहा जा रहा है कि विपक्षी एकता को देखते हुए बीजेपी भी एनडीए में दलों को शामिल कराने में जुट गई है। 

कहा जा रहा है कि बीजेपी ने भी 2024 के चुनाव से पहले एनडीए में एक नई जान फूंकने के लिए अपने पूर्व सहयोगियों के साथ बातचीत शुरू कर दी है। हाल के कर्नाटक विधानसभा चुनावों में हार के साथ तेजी से बदलती राजनीतिक स्थिति ने भाजपा को अपनी रणनीति पर फिर से विचार करने पर मजबूर कर दिया है। पहले जहाँ वह अपने सहयोगी दलों के साथ सख्ती से पेश आती हुई दिखती थी वह अब अपने पूर्व सहयोगियों के खिलाफ सख्त रुख को त्यागने के लिए मजबूर है। कहा जाता है कि हाल के वर्षों में बीजेपी के सख्त रुख की वजह से कई दल एनडीए छोड़कर चले गए थे। 

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इसी प्रयास के तहत बीजेपी ने कर्नाटक में जनता दल (सेक्युलर), आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में तेलुगु देशम पार्टी और पंजाब में शिरोमणि अकाली दल के साथ गठबंधन वार्ता फिर से शुरू कर दी है। बीजेपी महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे के नेतृत्व वाली शिवसेना के साथ तो पहले से ही गठबंधन में है और कहा जा रहा है कि 2024 के चुनाव को लेकर एकनाथ शिंदे ने हाल ही में दिल्ली जाकर अमित शाह और जेपी नड्डा से मुलाक़ात की थी। तमिलनाडु में अन्नाद्रमुक के साथ पार्टी के संबंध बने हुए हैं और उसका भी एनडीए के साथ जाना तय माना जा रहा है। 

तो सवाल है कि क्या अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए बीजेपी भी विपक्षी दलों की तरह अपने एनडीए गठबंधन को मज़बूत करने में नहीं जुट गई है?

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क़मर वहीद नक़वी
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