कोरोना वायरस से संक्रमण के सबसे ज़्यादा मामले महाराष्ट्र में सामने आए हैं। राज्य सरकार की ओर से लॉकडाउन की घोषणा किये जाने के बावजूद लोग घरों से बाहर निकल रहे थे। इसी के मद्देनजर अब सोमवार से पूरे महाराष्ट्र में कर्फ्यू लागू कर दिया गया है। मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने कहा है कि लोग बात नहीं मान रहे थे इसलिए मजबूर होकर कर्फ्यू लागू करना पड़ा। राज्य की सीमाएं बंद कर दी गयी हैं। मुख्यमंत्री ने एक जिले से दूसरे जिले में आने-जाने पर भी पाबंदी लगाने की घोषणा की है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आह्वान पर प्रदेश की जनता ने भी घंटा, थाली और ताली बजायी लेकिन इससे कोरोना नहीं भागेगा बल्कि यह उन लोगों के सम्मान में किया गया कार्य था जो लोग कोरोना के खिलाफ लड़ाई में हमें सेवाएं दे रहे हैं। लॉकडाउन के बाद भी युवा सड़कों या गलियों में क्रिकेट खेलते, दुपहिया या चार पहिया गाड़ियों में बैठकर घूमते देखे गए। कई जगहों पर पुलिस ने उनके खिलाफ कार्रवाई भी की लेकिन इस तरह बेवजह सड़कों पर घूम रहे लोगों को रोकने के लिये ही सरकार को कर्फ्यू लगाना पड़ा।
कोरोना वायरस के ख़ौफ़ से जिस तरह लोग शहरों से गांवों की ओर भाग रहे हैं, उसका दुष्परिणाम पुणे जिले की वेल्हा तहसील में देखने को मिला है। इस तहसील क्षेत्र के 26 गांवों को क्वरेंटीन कर दिया गया है। बताया गया है कि मूलतः पुणे की रहने वाली एक 41 वर्षीया महिला कोरोना संक्रमित पायी गयी है। यह महिला काम के सिलसिले में इन गावों में जाती थी। इस बात का पता चलते ही प्रशासन सक्रिय हो उठा और इन सभी गांवों में बाहर के लोगों के प्रवेश पर पाबंदी लगा दी गयी। सभी गांवों में दवाई छिड़की जा रही है तथा उन लोगों का पता लगाया जा रहा है, जो लोग इस महिला के संपर्क में आये थे।
महिला के संक्रमित होने से हड़कंप
मुंबई सेन्ट्रल की एक झोपड़-पट्टी में रहने वाली एक महिला के कोरोना वायरस से संक्रमित मिलने के बाद सरकार की चिंताएं बढ़ गयी हैं। इस महिला की उम्र 68 साल है। महिला मुंबई सेन्ट्रल में ही एक घर में काम करती है जिसका मालिक 7 मार्च को अमेरिका से लौटकर आया था। 17 मार्च को इस आदमी का कोरोना परीक्षण पॉजिटिव निकला। इसके बाद उसके सहयोगियों व घर में काम करने वाली महिला का भी परीक्षण किया गया, जिसमें यह महिला भी संक्रमित पायी गयी। महिला जिस क्षेत्र में रहती है, वहां करीब 23000 लोग झोपड़-पट्टियों में रहते हैं और सरकारी स्वच्छता गृहों का इस्तेमाल करते हैं। महिला अपने परिवार के सात सदस्यों के साथ 250 वर्ग फुट के घर में रहती है। यहां से कितने लोगों में संक्रमण फ़ैल सकता है, यह अनुमान लगाना कठिन नहीं है।
मुंबई महानगरपालिका के स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने सभी संभावित लोगों की जानकारी जुटायी है। साथ ही इस पूरे क्षेत्र में दवा का छिड़काव और विशेष सफाई की है। यह महिला तीन और घरों में भी काम करती थी। दो घरों के पांच लोगों का भी टेस्ट कराया गया है जबकि एक घर बंद है और वे लोग जैसलमेर गए हुए हैं। पिछले सप्ताह तक मुंबई में कोरोना परीक्षण का सिर्फ एक केंद्र था जो अब बढ़कर 14 हो गए हैं। साथ ही निजी क्षेत्र के निर्धारित चिकित्सालयों में भी जांच की सुविधा शुरू करा दी गई है और इसके लिए 4500 रुपये का शुल्क तय किया गया है।
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