क्या देश की आर्थिक राजधानी मुंबई में कोरोना वायरस का संकट व्यापक रूप लेता दिख रहा है? मुंबई जिसकी करीब 60% जनसंख्या झुग्गियों में रहती है, उसके सबसे बड़े स्लम (झोपड़-पट्टी) इलाक़े धारावी में कोरोना से एक शख्स की मौत ने प्रशासन की नींद उड़ा दी है। जहां यह शख्स रहता था, उस इमारत को अधिकारियों ने सील कर दिया है। घनी आबादी वाले धारावी को एशिया की सबसे बड़ी झुग्गी बस्ती के रूप में जाना जाता है।
मुंबई में अब तक 180 से अधिक कोरोना वायरस के मामले सामने आए हैं जबकि पूरे महाराष्ट्र में 335 लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं और 16 लोगों की मौत हो चुकी है।
धारावी में कोरोना के संक्रमण का असर कितना घातक हो सकता है, इस बात का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि करीब 500 एकड़ क्षेत्र में फैले इस स्लम में क़रीब 12 लाख लोग रहते हैं। ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग (दूरी) का काम लगभग असंभव है।
धारावी में स्वच्छता गृह आदि का इस्तेमाल सामुदायिक रूप से होता है और हर स्वच्छता गृह पर करीब 10 से 20 हजार लोगों का भार होता है। ऐसे में यदि कोरोना जैसा ख़तरनाक वायरस इस क्षेत्र में फैला तो हजारों की संख्या में लोग इससे संक्रमित हो सकते हैं।
अन्य झोपड़-पट्टियों में भी फैला संक्रमण
धारावी के अलावा शहर की कुछ अन्य झोपड़-पट्टियों से भी कोरोना संक्रमण के मामले सामने आये हैं। इनमें घाटकोपर, कलीना तथा परेल शामिल हैं। कलीना की झोपड़-पट्टी में जो 35 वर्षीय युवक कोरोना वायरस से संक्रमित पाया गया है, वह इटली से इस माह के आरम्भ में ही लौटा था। अधिकारियों ने उसे क्वरेंटीन में रहने के निर्देश दिए थे लेकिन इस झोपड़-पट्टी में क़रीब 25 हजार लोग रहते हैं और एक ही सार्वजनिक स्वच्छता गृह है। ऐसे में चिंता बढ़ना लाजिमी है।
मुंबई महानगरपालिका ने करीब 1527 ठिकानों पर विशेष स्वच्छता मुहिम तथा दवा छिड़कने का काम शुरू किया है लेकिन इन झोपड़-पट्टियों में जिस तरह से सटकर लोग रहते हैं, ऐसे में वायरस से उन्हें बचा पाना बड़ा मुश्किल काम होगा। इसके अलावा सरकारी स्वास्थ्य सेवा का बुरा हाल है क्योंकि इसमें 17 हजार पद रिक्त पड़े हैं।
स्वास्थ्य मंत्री का कहना है कि कोरोना को देखकर आने वाले समय में हम स्वास्थ्य सेवाओं को मजबूत बनाने के लिए बड़े पैमाने पर काम करेंगे। उन्होंने बताया कि बहुत से चिकित्सक ग्रामीण भागों में नहीं जाना चाहते और इस वजह से भी अधिकांश पद रिक्त पड़े हुए हैं।
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