loader

महाराष्ट्र: मराठा आरक्षण पर घमासान, इस चुनौती से कैसे निपटेगी उद्धव सरकार?

महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण को लेकर घमासान मचा हुआ है। सुप्रीम कोर्ट ने जब से इसे स्थगित करने का आदेश दिया है तब से प्रदेश में राजनीति गरमाई हुई है। विपक्ष ठाकरे सरकार पर इस मुद्दे पर सही पक्ष पेश करने में विफल रहने का आरोप लगा रहा है तो सत्ता में सहभागी कांग्रेस की तरफ से राज्य सरकार पर दबाव डाला जा रहा है कि वह मराठा समाज को आरक्षण दे लेकिन ओबीसी आरक्षण कोटे पर उसका प्रभाव नहीं पड़ना चाहिए। यानी मराठा आरक्षण का अलग से ही प्रावधान हो। 

इस मामले में सरकार कितनी दबाव में है, इस बात का अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि राष्ट्रवादी कांग्रेस के प्रमुख शरद पवार राज्यसभा के सत्र में भी शामिल नहीं हुए। पवार ने सभी नेताओं तथा कानूनी सलाहकारों में सामंजस्य बिठाने के लिए अनेक बैठकें कीं तथा सुप्रीम कोर्ट में नई पुनर्विचार याचिका दायर करायी। 

इन बैठकों के बाद एक आम सहमति बनने की खबर सामने आ रही है। खबर है कि सुप्रीम कोर्ट के अग्रिम आदेश तक मराठा समाज को क्या आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्ग को मिलने वाले 10 फीसदी आरक्षण का लाभ दे दिया जाए? 

ताज़ा ख़बरें

ओबीसी आरक्षण को लेकर प्रखर आवाज उठाने वाले कांग्रेस नेता व राज्य के मंत्री विजय वडेट्टीवार ने प्रेस कांफ्रेंस में भी इस बात के संकेत दिए हैं कि अगड़ी जाति के आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए केंद्र सरकार ने जिस तरह 10 फीसदी आरक्षण दिया है, वह मराठा समाज को भी मिले तो इस बात से किसी को ऐतराज नहीं है। 

उन्होंने कहा कि मंत्रिमंडल की बैठकों की चर्चा का जिक्र वे सार्वजनिक मंच से नहीं करना चाहते लेकिन मामला प्रदेश के 52 फीसदी ओबीसी समाज से जुड़ा है, लिहाजा वे स्पष्ट कर रहे हैं कि ओबीसी समाज के आरक्षण में किसी और समाज की हिस्सेदारी का वे विरोध करते हैं। 

10 दिन का अल्टीमेटम

मराठा आरक्षण को लेकर एक तरफ सरकार इस मुद्दे से कैसे निपटा जाए, इसे लेकर चर्चाओं में व्यस्त है तो दूसरी तरफ आंदोलन करने वाले संगठन भी पीछे नहीं हैं। इस मुद्दे पर अपने-अपने स्तर से विरोध कर रहे संगठनों की गोलमेज परिषद भी बुधवार को हुई। इसके बाद राज्य सरकार को 10  दिन का अल्टीमेटम दिया गया है। कोल्हापुर में हुई इस परिषद में निर्णय लिया गया है कि 1 अक्टूबर को महाराष्ट्र बंद कराया जाएगा। 

स्टे हटवाए राज्य सरकार 

मराठा आरक्षण के लिए संघर्ष करने वाले करीब पचास संगठनों के पदाधिकारी इस परिषद में शामिल हुए तथा उन्होंने प्रस्ताव पास किया कि सुप्रीम कोर्ट के स्थगन आदेश को हटवाने की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है और वह उसे हटवाकर पूर्व निर्धारित आरक्षण को जारी करवाए। 

मराठा समाज के विद्यार्थियों ने चालू शैक्षणिक वर्ष में जो फीस भरी है, राज्य सरकार उसे वापस करे। 

परिषद में यह भी प्रस्ताव पास किया गया है कि केंद्र सरकार ने आर्थिक दृष्टि से कमजोर वर्ग के लिए जो आरक्षण निर्धारित किया है, उसका लाभ मराठा समाज को मिले। परिषद में मराठा समाज के विकास के लिए बनायी गयी संस्था सारथी व अण्णा साहब पाटिल आर्थिक विकास मंडल का बजट एक-एक हजार करोड़ तक बढ़ाने का प्रस्ताव भी पास किया है। वर्तमान में इन दोनों संस्थाओं को करीब सौ-सौ करोड़ का अनुदान सरकार की तरफ से प्राप्त होता है। 

पुरानी है मराठा आरक्षण की मांग 

परिषद ने सरकार को अपनी मांगें भेज दी हैं लेकिन साथ ही साथ आंदोलन की रूप रेखा भी निर्धारित करनी शुरू कर दी है। 

प्रदेश में मराठा आरक्षण की मांग साल 1980 से चल रही थी और 2009 के विधानसभा चुनाव में विलासराव देशमुख ने यह घोषणा की थी कि यदि कांग्रेस की सरकार आयी तो मराठा समाज को आरक्षण देने पर विचार किया जाएगा।

2009 से 2014 तक विभिन्न राजनीतिक दलों व सत्ताधारी दलों के नेताओं ने यह मांग सरकार के समक्ष रखी। 25 जून, 2014 को तत्कालीन मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण ने मराठा आरक्षण को मंजूरी दे दी। उस आदेश के अनुसार शिक्षा और नौकरी के क्षेत्र में मराठा समाज को 16% आरक्षण दिये जाने की बात कही गयी, साथ ही 5% आरक्षण मुसलिम समाज को देने का फ़ैसला भी किया गया।

मराठा समाज का प्रदर्शन

नवम्बर, 2014 में इसे अदालत में चुनौती दी गयी। इस दौरान राज्य में सत्ता परिवर्तन हुआ और बीजेपी-शिवसेना की सरकार आ गयी। साल 2018 में कोपर्डी में हुई बलात्कार की घटना के बाद मराठा आरक्षण का मुद्दा और गरमा गया और प्रदेश भर में मराठा समाज के लोगों ने हर जिला स्तर, संभाग और राज्य स्तर पर मूक मोर्चा निकाला। हर मोर्चे में लाखों की संख्या में युवक-युवती एकत्र होते थे और बिना किसी नारेबाजी या प्रदर्शन के अपनी मांगों का ज्ञापन संबंधित अधिकारियों को  सौंपते थे। 

महाराष्ट्र से और ख़बरें

हिंसक हुआ आंदोलन 

इस आंदोलन का दूसरा चरण नवम्बर, 2018 में शुरू हुआ लेकिन इस चरण में आंदोलन हिंसक होने लगा। 18 नवम्बर, 2018 को मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने आनन-फानन में बैठक बुलाकर 16% मराठा आरक्षण देने का क़ानून मंजूर करने की घोषणा कर दी। लेकिन इसे फिर से अदालत में चुनौती दी गयी। 6 फरवरी, 2019 से 26 मार्च तक बॉम्बे हाई कोर्ट में हर दिन इस मामले की सुनवाई होती रही। 26 मार्च को इस पर अदालत ने अपना फ़ैसला आरक्षित कर दिया और ग्रीष्मकालीन अवकाश के बाद फैसला सुनाया। 

फैसले को दी सुप्रीम कोर्ट में चुनौती

इस फैसले को अधिवक्ता जयश्री पाटिल ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और अब करीब एक साल बाद सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के आदेश को स्थगित कर दिया। 

अदालत ने कहा कि वर्ष 2020-21 में होने वाली सरकारी नौकरी भर्ती या शैक्षणिक प्रवेश के लिए मराठा आरक्षण लागू नहीं होगा। यह आदेश प्रदेश में सभी जातियों को दिया जाने वाला आरक्षण 50% से ज्यादा हो जाएगा, इस तर्क के आधार पर दिया गया।

न्यायाधीश हेमंत गुप्ता, एल. नागेश्वर और एस. रवींद्र भट ने यह फ़ैसला सुनाया। सुप्रीम कोर्ट के इस आदेश के बाद एक बार फिर से प्रदेश में आरक्षण का मुद्दा गरमा गया है। अब देखना है राज्य सरकार इसका क्या हल निकालती है?

सत्य हिन्दी ऐप डाउनलोड करें

गोदी मीडिया और विशाल कारपोरेट मीडिया के मुक़ाबले स्वतंत्र पत्रकारिता का साथ दीजिए और उसकी ताक़त बनिए। 'सत्य हिन्दी' की सदस्यता योजना में आपका आर्थिक योगदान ऐसे नाज़ुक समय में स्वतंत्र पत्रकारिता को बहुत मज़बूती देगा। याद रखिए, लोकतंत्र तभी बचेगा, जब सच बचेगा।

नीचे दी गयी विभिन्न सदस्यता योजनाओं में से अपना चुनाव कीजिए। सभी प्रकार की सदस्यता की अवधि एक वर्ष है। सदस्यता का चुनाव करने से पहले कृपया नीचे दिये गये सदस्यता योजना के विवरण और Membership Rules & NormsCancellation & Refund Policy को ध्यान से पढ़ें। आपका भुगतान प्राप्त होने की GST Invoice और सदस्यता-पत्र हम आपको ईमेल से ही भेजेंगे। कृपया अपना नाम व ईमेल सही तरीक़े से लिखें।
सत्य अनुयायी के रूप में आप पाएंगे:
  1. सदस्यता-पत्र
  2. विशेष न्यूज़लेटर: 'सत्य हिन्दी' की चुनिंदा विशेष कवरेज की जानकारी आपको पहले से मिल जायगी। आपकी ईमेल पर समय-समय पर आपको हमारा विशेष न्यूज़लेटर भेजा जायगा, जिसमें 'सत्य हिन्दी' की विशेष कवरेज की जानकारी आपको दी जायेगी, ताकि हमारी कोई ख़ास पेशकश आपसे छूट न जाय।
  3. 'सत्य हिन्दी' के 3 webinars में भाग लेने का मुफ़्त निमंत्रण। सदस्यता तिथि से 90 दिनों के भीतर आप अपनी पसन्द के किसी 3 webinar में भाग लेने के लिए प्राथमिकता से अपना स्थान आरक्षित करा सकेंगे। 'सत्य हिन्दी' सदस्यों को आवंटन के बाद रिक्त बच गये स्थानों के लिए सामान्य पंजीकरण खोला जायगा। *कृपया ध्यान रखें कि वेबिनार के स्थान सीमित हैं और पंजीकरण के बाद यदि किसी कारण से आप वेबिनार में भाग नहीं ले पाये, तो हम उसके एवज़ में आपको अतिरिक्त अवसर नहीं दे पायेंगे।
संजय राय
सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें

अपनी राय बतायें

महाराष्ट्र से और खबरें

ताज़ा ख़बरें

सर्वाधिक पढ़ी गयी खबरें