क्या 'बुल्ली बाई' ऐप के ज़रिए मुसलिम महिलाओं को निशाना बनाना एक बड़ी साज़िश का हिस्सा था? जैसा कि मुंबई पुलिस ने जाँच में इसके तार नेपाल से जुड़े होने का खुलासा किया है तो उससे क्या संकेत मिलता है?
मुंबई पुलिस ने इस मामले में बेंगलुरु के एक इंजीनियरिंग छात्र विशाल झा के बाद उत्तराखंड से 18 साल की एक युवती श्वेता सिंह को गिरफ़्तार करने का दावा किया। उसने कहा है कि वह इस मामले में बुल्ली बाई ऐप से जुड़े तीन खाते हैंडल कर रही थी। पुलिस का कहना है कि श्वेता सिंह ने पूछताछ में कबूल किया है कि वह नेपाल निवासी एक सोशल मीडिया फ्रेंड से मिले निर्देश पर ऐसा कर रही थी।
पुलिस के इस दावे से उन सवालों के जवाब भी पुष्ट होते हैं कि क्या सिर्फ़ एक 18 साल की युवती 100 से ज़्यादा मुखर रहने वाली मुसलिम महिलाओं की तसवीरें निकालकर बुल्ली बाई पर 'नीलामी' जैसा काम कर पाएगी? क्या वह देश भर में ऐसी महिलाओं की जानकारी अकेले जुटाकर ऐसा कर पाने में सक्षम हो पाएगी यदि उसके पीछे किसी संगठन का हाथ नहीं हो? क्या इसमें किसी प्रोफेशनल का काम नहीं है और क्या यह किसी बड़े मक़सद से किसी के इशारे पर नहीं किया गया?
टीओआई की रिपोर्ट के अनुसार, उत्तराखंड पुलिस प्रवक्ता डीआईजी सेंथिल ए कृष्णा राज ने कहा है, 'मुंबई पुलिस द्वारा प्रारंभिक जांच के दौरान उसने दावा किया कि उसने एक सोशल मीडिया मित्र, एक नेपाल निवासी, जो गियू (Giyou) के रूप में पहचाना जाता है, के निर्देश पर फर्जी ट्विटर अकाउंट jattkhalsa07 बनाया। इस अकाउंट का इस्तेमाल 'बुली बाई' ऐप पर सामग्री पोस्ट करने के लिए किया गया था।'
रिपोर्ट के अनुसार, रुद्रपुर सिटी एसपी ममता बोहरा ने कहा है कि श्वेता बेंगलुरु में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे बिहार के विशाल कुमार झा के संपर्क में था। इसे पहले इस मामले में गिरफ्तार किया गया था। श्वेता पिछले छह महीनों से वेबसाइट (ऐप) से जुड़े लोगों से जुड़ी हुई थी। वे उसी विचारधारा को मानते हैं जिसके कारण यह घृणा अपराध हुआ है। वह लगातार अभद्र टिप्पणी कर रही थी। ट्विटर पर उसका हैंडल jattkhalsa07 कई मशहूर हस्तियों और सोशल मीडिया कार्यकर्ताओं की आपत्तिजनक तसवीरें पोस्ट करने के अपराध में शामिल था।'
मुंबई पुलिस की यह कार्रवाई इसलिए हो रही है कि ओपन-सोर्स प्लेटफॉर्म गिटहब का इस्तेमाल करते हुए 'बुल्ली बाई' ऐप बनाई गई और इस पर सैकड़ों मुसलिम महिलाओं की तसवीरें अपलोड की गई थीं।
इसमें खासकर उन महिलाओं को निशाना बनाया गया जो सामाजिक मुद्दों पर मुखर रही हैं। इसमें पत्रकार से लेकर सोशल एक्टिवस्ट तक शामिल हैं।
उत्तराखंड के उधम सिंह नगर से गिरफ्तार की गई श्वेता सिंह बारहवीं कक्षा पास है। शुरुआती जांच में श्वेता सिंह ने पुलिस को बताया है कि कोरोना काल में उसके पिता की मौत हो गई थी जबकि उससे कुछ समय पहले उसकी मां की भी कैंसर की वजह से मौत हो गई थी। उसकी एक बड़ी और छोटी बहन भी है।
पुलिस अब श्वेता से पूछताछ कर यह पता लगाना चाहती है कि आखिर श्वेता के साथ और कौन-कौन लोग इस एप्लीकेशन को बनाने में साथ थे। मुंबई पुलिस कमिश्नर का कहना है कि श्वेता सिंह और विशाल झा ने अपने नेपाली दोस्त के साथ मिलकर इस एप्लीकेशन को 31 दिसंबर को बनाया था और इसको अपने कई दोस्तों के साथ शेयर किया था। श्वेता के कई दोस्तों ने इस ऐप को सब्सक्राइब भी किया था।
अब पुलिस आईटी एक्सपर्ट की मदद से यह पता लगा रही है कि इस बुल्ली बाई ऐप पर जिन मुसलिम महिलाओं के फोटो अपलोड किए गए थे और उनकी बोली लगाई गई थी, उनका किस तरह से इस्तेमाल किया जा रहा था। श्वेता ने मुंबई पुलिस को शुरुआती जांच में बताया है कि उसने करीब 100 मुसलिम महिलाओं के फोटो इस मोबाइल ऐप पर अपलोड किए थे और उनकी बोली लगाई थी।
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