सुशांत सिंह राजपूत की मौत मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा है कि रिपब्लिक टीवी और टाइम्स नाउ की रिपोर्टिंग एक नज़र में अवमानना वाली है। हालाँकि, कोर्ट ने इसके लिए कोई सज़ा नहीं सुनाई, लेकिन अदालत की यह टिप्पणी इन दोनों न्यूज़ चैनलों के साथ-साथ दूसरे ऐसे चैनलों के लिए सबक़ या चेतावनी के तौर पर ज़रूर है। अदालत ने साफ़ तौर पर कहा भी है कि जब तक कोई नयी गाइडलाइंस तय नहीं हो जाती है तब तक आत्महत्या के मामलों में इलेक्ट्रॉनिक मीडिया भी प्रेस काउंसिल ऑफ़ इंडिया के दिशा-निर्देश माने।
सुशांत केस में रिपब्लिक टीवी, टाइम्स नाउ की रिपोर्टिंग अवमानना: HC
- महाराष्ट्र
- |
- |
- 19 Jan, 2021
सुशांत सिंह राजपूत मौत मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट ने कहा है कि रिपब्लिक टीवी और टाइम्स नाउ की रिपोर्टिंग एक नज़र में अवमानना वाली है। हालाँकि, कोर्ट ने इसके लिए कोई सज़ा नहीं सुनाई।

कोर्ट की यह टिप्पणी काफ़ी अहम इसलिए है कि जब सुशांत सिंह राजपूत की मौत का मामला आया था तो कुछ चैनलों ने इसे हत्या क़रार देना शुरू किया। चैनलों के इस रवैये पर सवाल इसलिए उठे कि इसके लिए उनके पास कोई सबूत नहीं थे। फिर भी चैनलों ने पुलिस की जाँच पूरे होने से पहले ही फ़ैसले भी देने शुरू कर दिए। जब इस मामले में रिया चक्रवर्ती का नाम आया तो कुछ चैनल उनके पीछे हाथ धोकर पड़ गए। खुलेआम अनाप-शनाप आरोप लगाए जाने लगे और इन चैनलों ने जैसे फ़ैसले सुनाने शुरू कर दिए। ड्रग्स एंगल जब जुड़ा तो इन्हीं चैनलों ने पूरी फ़िल्म इंडस्ट्री को ड्रग्स की ‘इंडस्ट्री’ के तौर पर पेश करने का काम किया। लेकिन कोर्ट में क्या हुआ। कोई भी आरोप टिकते नहीं दिखे। बिना किसी सबूत के सभी मामलों में उन टीवी चैनलों की रिपोर्टिंग बिना आधार की साबित हुईं।