बृहन्मुंबई महानगरपालिका यानी बीएमसी ने शिवसेना के दोनों गुटों- उद्धव ठाकरे और एकनाथ शिंदे गुट को शिवाजी पार्क में दशहरा रैली करने की इजाजत नहीं दी है। बीएमसी ने इसके पीछे कानून और व्यवस्था की स्थिति का हवाला दिया है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुट ने 5 अक्टूबर को शिवाजी पार्क में दशहरा रैली की अनुमति दिए जाने का आवेदन बीएमसी को दिया था।
दोनों गुटों में हुई थी झड़प
कुछ दिन पहले ही शिवाजी पार्क से सटे इलाके में उद्धव ठाकरे गुट और एकनाथ शिंदे गुट के कार्यकर्ताओं के बीच झड़प हो गई थी जिसमें शिंदे गुट के विधायक सदा सरवणकर ने अपनी पिस्टल से फायरिंग कर दी थी जिसके बाद से इलाके में तनाव चल रहा है। बीएमसी के अफसरों को यह आशंका थी कि अगर शिवाजी पार्क मैदान में किसी भी पक्ष को रैली करने की इजाजत दी जाती है तो फिर दूसरा पक्ष भड़क सकता है।
बीएमसी के आयुक्त इकबाल सिंह चहल ने द इंडियन एक्सप्रेस से इस बात की पुष्टि की है कि दोनों ही गुटों को रैली की इजाजत नहीं दी गई है।
हाई कोर्ट पहुंचा उद्धव गुट
बीएमसी के इस फैसले के बाद उद्धव ठाकरे गुट हाई कोर्ट पहुंचा है और उसने बीएमसी के फैसले को चुनौती दी है। हाई कोर्ट ने कहा है कि वह इस मामले में शुक्रवार को सुनवाई करेगा। दूसरी ओर एकनाथ शिंदे गुट के विधायक सदा सरवणकर ने उद्धव ठाकरे गुट की याचिका को चुनौती देने वाली अर्जी अदालत में दायर की है। उन्होंने अर्जी में कहा है कि शिवसेना के दोनों गुटों के बीच विवाद का मामला सुप्रीम कोर्ट और भारतीय चुनाव आयोग के सामने विचाराधीन है। अदालत ने कहा है कि सरवणकर की अर्जी को भी शुक्रवार को ही सुना जाएगा।
बताना होगा कि शिवाजी पार्क में रैली को लेकर बीते कई दिनों से शिवसेना के दोनों गुटों के बीच जबरदस्त तनाव चल रहा है। शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे कह चुके हैं कि वह शिवाजी पार्क में ही अपनी दशहरा रैली करेंगे। उन्होंने इसके पीछे परंपरा का हवाला दिया है।
शिवसेना के लिए अहम है शिवाजी पार्क
बता दें कि शिवसेना और शिवाजी पार्क का पुराना नाता है। शिवसेना के संस्थापक बाला साहेब ठाकरे ने दादर के इसी शिवाजी पार्क मैदान में पार्टी की नींव रखी थी और यहीं से उन्होंने दशहरा रैली पर शिवसेना के कार्यकर्ताओं को संबोधित करना शुरू किया था। जब महाराष्ट्र में शिवसेना और बीजेपी ने पहली बार मिलकर सरकार बनाई थी तो शिवसेना नेता मनोहर जोशी मुख्यमंत्री बने थे और शिवाजी पार्क के मैदान पर ही मुख्यमंत्री मनोहर जोशी ने शपथ ली थी। बालासाहेब ठाकरे का इस मैदान से इतना लगाव था कि उनकी मृत्यु के बाद उनका अंतिम संस्कार भी इसी मैदान पर किया गया था और उसके बाद इसी मैदान पर उनका स्मृति स्थल भी बनाया गया है।
शिवसेना में बगावत
याद दिलाना होगा कि इस साल जून में शिवसेना में बड़ी बगावत हुई थी और शिवसेना के एकनाथ शिंदे गुट ने बीजेपी के साथ मिलकर सरकार बना ली थी। शिवसेना के 55 में से 40 विधायक एकनाथ शिंदे गुट के साथ हैं और बड़ी संख्या में लोकसभा सांसदों के साथ ही महाराष्ट्र के कई जिलों में शिवसैनिक एकनाथ शिंदे गुट के साथ आ गए हैं।
हालांकि नवगठित बीजेपी-एकनाथ शिंदे सरकार कितने दिन चलेगी यह नहीं कहा जा सकता क्योंकि इस सरकार के गठन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई है और शिवसेना पर किसका हक है इसे लेकर भी चुनाव आयोग का फैसला अभी आना बाकी है।
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