मुंबई पुलिस ने इस बात की पुष्टि की है कि मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे की पार्टी शिवसेना के शहर अध्यक्ष को शुक्रवार रात मुंबई के पास भाजपा विधायक ने गोली मार दी। आरोप है कि विधायक गणपत गायकवाड़ ने कथित तौर पर भूमि विवाद को लेकर एक पुलिस स्टेशन में महेश गायकवाड़ पर गोली चलाई। पुलिस ने फिलहाल विधायक को हिरासत में ले लिया है।
गणपत गायकवाड़ मुंबई से लगभग 40 किमी दूर कल्याण में कल्याण पूर्व निर्वाचन क्षेत्र से भाजपा विधायक हैं। उनकी पार्टी महाराष्ट्र सरकार में एकनाथ शिंदे की सेना के साथ गठबंधन में है।
पुलिस उपायुक्त (डीसीपी) सुधाकर पठारे ने कहा, गोलीबारी में दो लोग घायल हो गए।
घटना उल्हासनगर के हिल लाइन पुलिस स्टेशन में हुई। दो पक्ष जमीन विवाद को लेकर पुलिस स्टेशन आए थे। दोनों ओर से नेता लोग भी थे। इस दौरान तीखी नोकझोंक के बीच भाजपा विधायक ने फायरिंग कर दी। गोलीबारी में घायल हुए सेना नेता और एक अन्य समर्थक को तुरंत अस्पताल ले जाया गया।
उनके शरीर से पांच गोलियां निकाली गई हैं, लेकिन उनकी हालत गंभीर बनी हुई है।
घटना के बाद हिरासत में लिए गए गणपत गायकवाड़ ने कहा कि यह मुद्दा उस जमीन को लेकर था जिस पर शिंदे सेना के नेता महेश गायकवाड़ ने कथित तौर पर कब्जा कर लिया था। विधायक ने दावा किया कि उन्होंने आत्मरक्षा में गोली चलाई क्योंकि वे लोग उनके बेटे के साथ दुर्व्यवहार कर रहे थे।
इस संबंध में पुलिस का जो आधिकारिक बयान है, उसके मुताबिक "महेश गायकवाड़ और गणपत गायकवाड़ के बीच कुछ विवाद था। वे शिकायत दर्ज कराने के लिए हिल लाइन पुलिस स्टेशन आए थे, लेकिन बातचीत के दौरान गणपत गायकवाड़ ने महेश गायकवाड़ और उनके सहयोगियों पर गोलियां चला दीं। दो लोग घायल हो गए।"
शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट ने कानून-व्यवस्था सुनिश्चित करने में विफल रहने के लिए सरकार की आलोचना की है। पार्टी प्रवक्ता आनंद दुबे ने कहा "एक बीजेपी विधायक ने पुलिस स्टेशन के अंदर गोलीबारी की और जिस व्यक्ति को गोली मारी गई वह मुख्यमंत्री और एक पूर्व पार्षद का करीबी है। उनकी दोनों पार्टियां सत्ता में हैं, तो क्या हमें यह समझना चाहिए कि इन लोगों को कानून का कोई डर नहीं है? दोनों इंजन राज्य सरकार विफल रही है।”
कांग्रेस भी लगातार आरोप लगा रही है कि शिंदे के राज में कानून व्यवस्था फेल हो गई है। दोनों ही दलों के नेता, विधायक, मंत्री प्रॉपर्टी विवाद में पैसे बना रहे हैं। पुलिस असहाय है, क्योंकि राजनीतिक आकाओं ने उसके हाथ बांध दिए हैं। उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने भाजपा नेताओं और कार्यकर्ताओं को मनमानी की खुली छूट दे दी है।
यहां बताना जरूरी है कि एकनाथ शिंदे ने तत्कालीन मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे के खिलाफ बगावत कर दी थी। भाजपा की मदद से सरकार बनाने के बाद 2022 में शिवसेना विभाजित हो गई थी। चुनाव आयोग ने पिछले साल पार्टी की विरासत को लेकर शिंदे के पक्ष में फैसला सुनाया था। इस सारे प्रकरण में तत्कालीन राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी की भूमिका विवादों में रही है।
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