महाराष्ट्र के राजभवन को राजनीति और ठाकरे सरकार के ख़िलाफ़ रची जाने वाली साज़िशों का अड्डा बना देने के आरोप झेल रहे राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर शिव सेना ने तगड़ा पलटवार किया है। शिव सेना का यह पलटवार राज्यपाल के उस बयान पर आया है जिसमें उन्होंने महाराष्ट्र में मंदिर खोले जाने के मुद्दे पर बेहद निचले स्तर की टिप्पणी की थी।
मंदिर खोलने का मुद्दा
महाराष्ट्र की उद्धव ठाकरे सरकार कोरोना का संक्रमण फैलने की आशंका के कारण राज्य के धार्मिक स्थलों को खोलने से इनकार कर रही है। लेकिन बीजेपी ने इसे मुद्दा बनाया हुआ है। पार्टी का कहना है कि जब बार-रेस्तरां खुल गए तो मंदिरों को भी खोलो। इसे लेकर बीजेपी नेता मंगलवार को मुंबई, शिरडी, पुणे सहित तमाम शहरों में सड़कों पर उतर गए और ठाकरे सरकार को हिन्दू विरोधी साबित करने की कोशिश की। उन्हें इस लड़ाई में साथ मिला राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी का। लेकिन आरएसएस से दीक्षित कोश्यारी बीजेपी का साथ देने के चक्कर में ऐसी टिप्पणी कर बैठे, जिसकी हिंदुस्तान के आईन पर एतबार रखने वाले हर शख़्स ने निंदा की।
सेक्युलर होना गुनाह?
कोश्यारी ने मुख्यमंत्री ठाकरे को लिखे पत्र में उन पर तंज कसते हुए कहा था, ‘क्या आपको कोई दैवीय प्रेरणा मिल रही है कि आप मंदिर नहीं खोल रहे हैं। क्या आप अचानक सेक्युलर हो गए हैं? पहले तो आप इस शब्द से ही नफरत करते थे।’ कोश्यारी ने अपने पत्र में लिखा था कि उनसे तीन प्रतिनिधिमंडलों ने धार्मिक स्थलों को खोले जाने की मांग की है।
कोश्यारी की इस टिप्पणी पर बवाल बढ़ा तो उद्धव ठाकरे ने उन्हें पत्र लिखकर जोरदार जवाब दिया। ठाकरे ने लिखा, ‘कोश्यारी ने जिन तीन पत्रों का जिक्र किया है, वे बीजेपी पदाधिकारियों और समर्थकों के हैं।’ ठाकरे ने सवाल किया कि क्या कोश्यारी के लिए हिंदुत्व का मतलब केवल धार्मिक स्थलों को पुन: खोलने से है और क्या उन्हें नहीं खोलने का मतलब सेक्युलर होना है।
राज्यपाल की ऐसी भाषा
कोश्यारी की इस टिप्पणी को लेकर देश के तर्जुबेकार सियासतदां शरद पवार ने भी नाराजगी जताई और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को खुला पत्र लिखा। उन्होंने पत्र में लिखा, ‘राज्यपाल का पत्र किसी राजनीतिक पार्टी के नेता के पत्र जैसा लगता है। राज्यपाल जैसे पद पर बैठे व्यक्ति का ऐसा नज़रिया खेदजनक है।’
पवार ने कहा कि राज्यपाल की किसी मुद्दे पर अपनी अलग राय हो सकती है लेकिन जिस तरह की भाषा का उन्होंने इस पत्र में प्रयोग किया है और उसे मीडिया में सार्वजनिक किया है, वह बेहद दुःखद है।
अब शिव सेना ने सामना में लिखे संपादकीय में राज्यपाल को निशाने पर लिया है। शिव सेना ने लिखा है कि अगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह राजभवन की प्रतिष्ठा को बचाए रखना चाहते हैं तो उन्हें कोश्यारी को वापस बुला लेना चाहिए। शिव सेना ने बीजेपी को भी चेतावनी दी है कि ठाकरे सरकार पर हमला बोलने के लिए राजभवन का इस्तेमाल करना उसे महाराष्ट्र में भारी पड़ेगा।
देखिए, इस विषय पर चर्चा।
कोश्यारी की टिप्पणी के बाद बड़ा सवाल यही खड़ा होता है कि एक संवैधानिक पद पर बैठा व्यक्ति क्या धर्म के आधार पर फ़ैसला लेने के लिए सरकार को पत्र लिखकर और उसके मुखिया से सेक्युलर होने को लेकर सवाल पूछ सकता है?
राज्यों में जब दल-बदल या सरकारों को अस्थिर करने का खेल होता है, उसमें राज्यपाल के विवेकाधीन निर्णयों पर सुप्रीम कोर्ट तक ने सवाल उठाये हैं। राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी पर भी ऐसे तमाम आरोप लग चुके हैं। प्रदेश में गैर बीजेपी सरकार के गठन के वक्त शिवसेना ने पर्याप्त समय नहीं दिए जाने का आरोप लगाया था। उसके बाद राष्ट्रपति शासन लगाने और रातों-रात उसे हटाकर सूर्योदय से पहले बीजेपी के मुख्यमंत्री को बिना बहुमत के शपथ दिलाने का खेल करीब एक साल पहले सबने देखा है।
राजभवन में जिस तरह से बीजेपी नेताओं की आवाजाही रहती है, उस पर शिवसेना नेता संजय राउत पहले भी सवाल खड़े कर चुके हैं। उन्होंने जब राज्यपाल से कहा था कि वे राजभवन को राजनीति का अड्डा न बनने दें तो काफी विवाद हुआ था।
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