प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पश्चिम बंगाल के मिदनापुर की चुनावी सभा का आग़ाज़ ‘जय श्री राम’ के जयघोष से किया। यह अकारण नहीं है। दरअसल, पश्चिम बंगाल में इस बार का चुनाव पूरी तरह से साम्प्रदायिक हो चुका है। बीजेपी, आरएसएस और उसके कई सहयोगी संगठन दो-तीन सालों से बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को मुसलिम परस्त ही नहीं, बल्कि मुसलमान साबित करने का अभियान चला रहे थे। वाट़्सऐप सहित पूरे सोशल मीडिया पर ऐसे पोस्ट लंबे समय से घूम रहे हैं जिनमें बताया जाता है कि ममता बनर्जी असल में मुसलमान हैं। उनका एक मुसलिम नाम भी प्रचारित किया गया। यह अभियान ठीक उसी तरह चलाया गया जैसे देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और उनके परिवार को मुसलमान बताने के लिए चलाया जा रहा है। पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गाँधी और उनके पति फ़िरोज़ गाँधी को भी मुसलमान बताने वाले संदेश ख़ूब प्रचारित किये गए। इस तथ्य को छिपाया गया कि फ़िरोज़ गाँधी पारसी थे। पर्सिया से भारत आकर शरण लेने वाले पारसियों ने कभी भी इसलाम स्वीकार नहीं किया। पारसी सूर्य की पूजा करते हैं और इसलाम से किसी भी तरह से जुड़े नहीं हैं। यह एक अलग धर्म है जो इसलाम से पहले से मौजूद है। टाटा समूह के प्रवर्तक जेआरडी टाटा, रतन टाटा, मशहूर वैज्ञानिक होमी जहाँगीर भाभा, भारत के परमाणु बम के जन्मदाताओं में से एक एच.एन. सेठना, गोदरेज परिवार और बीजेपी की अति दुलारी नेता और मोदी सरकार में मंत्री स्मृति ईरानी के पति ज़ुबिन ईरानी भी पारसी हैं। इस प्रचार का जवाब देने के लिए राहुल गाँधी को जनेउ दिखाना पड़ा और गोत्र बताना पड़ा।

मोदी के गुजरात में जय श्री राम का नहीं, बल्कि जय श्री कृष्ण का उद्घोष होता है। जैसै बिहार और उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों में नमस्कार या प्रणाम की तरह राम-राम कह कर अभिवादन किया जाता है वैसे ही गुजरात में जय श्री कृष्ण। मोदी कभी जय श्री कृष्ण कहते सुनायी नहीं दिए क्योंकि चुनाव में जितना फ़ायदा जय श्री राम से हो सकता है उतना फ़ायदा जय श्री कृष्ण से होने की उम्मीद कम है।
शैलेश कुमार न्यूज़ नेशन के सीईओ एवं प्रधान संपादक रह चुके हैं। उससे पहले उन्होंने देश के पहले चौबीस घंटा न्यूज़ चैनल - ज़ी न्यूज़ - के लॉन्च में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। टीवी टुडे में एग्ज़िक्युटिव प्रड्यूसर के तौर पर उन्होंने आजतक