यह साफ़ दिख रहा है कि वाम दल, ख़ासकर सीपीआई और सीपीएम, बिहार की राजनीतिक ज़मीन पर लकवाग्रस्त होकर हाँफ रही हैं। ऐसे में इनके नेताओं को लगने लगा है कि जेएनयू के पूर्व अध्यक्ष कन्हैया कुमार अपनी रणनीति, कूटनीति, वाणी अस्त्र से पार्टी में जान फूंक देंगे।