चुनाव में उम्मीदवार के प्रस्तावक का पलट जाना ऐसे तो दुर्लभ चीज है, लेकिन लगता है अब स्थिति वैसी नहीं रही। क्या आपको लोकसभा चुनाव में गुजरात की सूरत सीट पर कांग्रेस उम्मीदवार के प्रस्तावक के पलटने की घटना याद है? तब प्रस्ताव के पलटने से उम्मीदवार का नामांकन रद्द हो गया था और बाक़ी निर्दलीय के नाम वापस होने के बाद बीजेपी उम्मीदवार निर्विरोध चुना गया था। अब झारखंड में कुछ उसी तरह की आशंका जताई गई। वह भी राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की उम्मीदवारी के साथ। तो क्या सच में सोरेन की उम्मीदवारी को ख़तरा है?