जम्मू-कश्मीर में एक बार फिर आतंकियों ने खूनी खेल खेलना शुरू कर दिया है। आतंकियों ने 24 घंटे के अंदर दो लोगों की हत्या कर दी है। इनमें से एक शख़्स किसी कश्मीरी पंडित की दुकान पर काम करता था। बीते महीने भी आतंकियों ने कई लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। इनमें हिंदू, सिख और मुसलमान शामिल थे। इनमें स्थानीय लोग भी थे और बाहरी भी।
ताज़ा वारदात में आतंकियों ने सोमवार को श्रीनगर में स्थित एक कश्मीरी पंडित की दुकान पर फ़ायरिंग की। इसमें मोहम्मद इब्राहिम नाम के शख़्स की मौत हो गई। इब्राहिम दुकान में सेल्समैन था और बांदीपोरा जिले का रहने वाला था। यह दुकान 29 साल बाद 2019 में फिर से खोली गई थी। इससे पहले रविवार को भी आतंकियों ने बाटमालू में एक पुलिसकर्मी की हत्या कर दी थी।
राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस दहशतगर्द हरक़त की निंदा की है। घटना के बाद सुरक्षा बलों ने इस इलाक़े को खाली करा लिया और हमलावरों की तलाश की।
आतंकियों ने दहशत फैलाने के लिए बीते महीने लगातार कई हत्याएं कर 11 निर्दोष लोगों को मौत के घाट उतार दिया था। इनमें श्रीनगर में मेडिकल स्टोर चलाने वाले माखन लाल बिंदरू भी थे। बिंदरू को उनकी दुकान में गोली मारी गई थी।
बिंदरू 1990 में जब कश्मीर में आतंकवाद चरम पर था और हजारों की संख्या में कश्मीरी पंडितों ने पलायन किया था, उसके बाद भी वहीं डटे हुए थे। इसके अलावा बिहार के भागलपुर के रहने वाले वीरेंद्र पासवान और ईदगाह इलाक़े में दो स्कूली शिक्षकों की आतंकियों ने हत्या कर दी थी। पुलिस का कहना था कि अधिकतर हमले द रेजिस्टेंस फ्रंट नाम के संगठन ने किए हैं और इसे कुख्यात आतंकवादी संगठन लश्कर ए तैयबा ने तैयार किया है।
इन कायराना वारदातों के बाद घाटी के कई इलाक़ों से कश्मीरी पंडितों के एक बार फिर पलायन करने की ख़बरें आई थीं। इससे पहले 1990 में घाटी से कश्मीरी पंडितों का पलायन हुआ था।
एनकाउंटर अभियान
इसके बाद सेना और पुलिस ने जोरदार एनकाउंटर अभियान चलाया था और 11 एनकाउंटर कर 17 दहशतगर्दों को मौत के घाट उतार दिया था। कश्मीर में 5 हज़ार अतिरिक्त जवानों की तैनाती की गई थी। गृह मंत्री अमित शाह भी कश्मीर के दौरे पर पहुंचे थे और उन्होंने सुरक्षा बलों के अफ़सरों के साथ बैठक की थी।
900 से ज़्यादा हिरासत में
सुरक्षा बलों ने हरक़त में आते हुए 900 से ज़्यादा लोगों को हिरासत में लिया था। हिरासत में लिए गए लोगों में से कई लोग ऐसे थे, जिनके बारे में कहा गया था कि इनका संबंध प्रतिबंधित संगठन जमात-ए-इसलामी से है या ये श्रीनगर, बड़गाम के इलाक़ों से दक्षिण कश्मीर में आकर अंडरग्राउंड वर्कर्स के रूप में संदिग्ध रूप से काम कर रहे हैं।
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