मुख्य विपक्षी पार्टियां नेशनल कॉन्फ़्रेंस और पीपल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) ने भी चुनाव का बहिष्कार करने की घोषणा की है। बता दें कि अनुच्छेद 370 को हटाये हुए 65 दिन हो चुके हैं लेकिन अभी भी राज्य में प्रतिबंध जारी हैं। केंद्र और जम्मू-कश्मीर प्रशासन के सामने सबसे बड़ी चुनौती राज्य में ब्लॉक डेवलपमेंट काउंसिल (बीडीसी) के चुनाव कराना है।
बीडीसी के चुनाव 24 अक्टूबर को होने हैं लेकिन हाल ही में घाटी में जिस तरह लोगों के केंद्र के फ़ैसले के ख़िलाफ़ सड़कों पर उतरने की ख़बरें सामने आई हैं, उसे देखते हुए चुनाव कराना आसान नहीं माना जा रहा है। जानकारों के मुताबिक़, राज्य में राजनीतिक माहौल को सामान्य तभी किया जा सकता है जब वहाँ के बड़े नेताओं को प्रशासन आज़ाद करे। पिछले दो महीने से राज्य के पूर्व मुख्यमंत्रियों फ़ारूक अब्दुल्ला, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ़्ती को प्रशासन ने हिरासत में रखा हुआ है। इसके अलावा भी कई प्रमुख नेताओं को लोगों के बीच जाने नहीं दिया गया है, ऐसे हालात में चुनाव किस तरह होंगे, यह एक बड़ा सवाल है।
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