रिज़र्व बैंक ने एक बयान में कहा, ‘दूसरी छमाही की जीडीपी वृद्धि दर अनुमान से काफ़ी कम है। कई महत्वपूर्ण इंडीकेटरों से पता चलता है कि घरेलू और बाहरी माँग कमज़ोर ही रही हैं। लेकिन आउटलुक सर्वे से यह भी संकेत मिलता है कि वित्तीय वर्ष की चौथी तिमाही में स्थिति तेज़ी से सुधरेगी।’
Reserve Bank of India (RBI) Governor Shaktikanta Das: As regards the external sector, exports contracted in September-October 2019 reflecting the persisting weakness in global trade but non-oil export growth returned to positive territory in October, after a gap of 2 months. pic.twitter.com/7gAQXItLWm
— ANI (@ANI) December 5, 2019
पर्यवेक्षकों का कहना है कि 4.5 प्रतिशत की जीडीपी वृद्धि दर छह साल में न्यूनतम विकास दर है। इससे रिज़र्व बैंक पर दबाव पड़ेगा कि वह अर्थव्यवस्था में नकदी बढ़ाए। नकदी बढ़ने से खर्च बढ़ेगा, जिससे माँग निकलेगी, खपत बढ़ेगी और धीरे-धीरे पूरी अर्थव्यवस्था पटरी पर लौट आएगी।
सीएसओ ने क्या कहा था?
याद दिला दें कि बीते शुक्रवार को जारी आँकड़ों के मुताबिक़, दूसरी छमाही में सकल घरेलू उत्पाद वृद्धि की दर 4.5 प्रतिशत दर्ज की गई। यह 6 साल की न्यूनतम विकास दर है।इसके पहले चालू वित्तीय वर्ष की पहली तिमाही में जीडीपी वृद्धि दर 5 प्रतिशत थी। दूसरी तिमाही में कुल मिला कर सकल घरेलू उत्पाद 49.64 लाख करोड़ रुपए दर्ज किया गया। सबसे तेज़ गति से विकास कृषि, वाणिकी और मत्स्य पालन में रहा, जहाँ 7.4 प्रतिशत वृद्धि देखी गई। लेकिन सबसे बुरा हाल खनन क्षेत्र का रहा, जिसमें विकास दर -4.4 प्रतिशत देखी गई। इसी तरह उत्पादन क्षेत्र में -1.1 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई। बिजली, गैस, जल आपूर्ति में 2.3 प्रतिशत तो निर्माण में 4.2 प्रतिशत विकास देखा गया।
इसके पहले 2012-13 की जनवरी-मार्च की तिमाही के दौरान सकल घरेलू उत्पाद में वृद्धि की दर 4.3 प्रतिशत देखी गई थी। इसे इसके पहले का न्यूनतम जीडीपी वृद्धि दर माना गया था।
यह जीडीपी वृद्धि दर पहले के अनुमान से भी कम है। केंद्रीय बैंक ने जो अनुमान लगाया था, उससे भी कम जीडीपी यह बताता है कि अर्थव्यवस्था वाकई बहुत ही बुरी हाल में है।
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